शुरु हुई हादसे की जांच की कवायद
Bermo : सीसीएल के कथारा प्रक्षेत्र के गोविन्दपुर परियोजना के फेज टू खूली खदान में लैंड स्लाइडिंग में एक सुरक्षा गार्ड की मौत के बाद इस बात की चर्चा जोरों पर है यह एक प्राकृतिक हादसा है या प्रबंधन की चूक है. ज्ञात हो कि बेरमो कोयलांचल में सीसीएल के तीन एरिया है, जिसमें कथारा, ढोरी व बीएण्डके क्षेत्र शामिल हैं. तीनों ही क्षेत्र में कोयले का उत्पादन होता है. कोयला खदान को सुरक्षित चलाने के लिए डीजीएमएस भी समय-समय पर खदानों के निरीक्षण कर कोयला उत्पादन की स्वीकृति देते है. लेकिन 01 अक्टूबर को सीसीएल कथारा क्षेत्र के गोविन्दपुर परियोजना में जिस प्रकार का हादसा हुआ है, वह एक गंभीर सवाल खडा करता है.
वन विभाग के पहाड़ से गिरा मलवा
दरअसल गोविन्दपुर परियोजना के नीचे क्वारी में जहां यह हादसा हुआ वहां वन विभाग का पहाड़ है. खड़ा पहाड करीब दो सौ फीट का होगा. पिछले दो दिन से लगातार बारिश हो रही थी. खदान में पानी भर गया था. उत्पादन का कार्य बंद था. 1 अक्टूबर को दोपहर गोविन्दपुर परियोजना के फेज नंबर दो के नीचे क्वारी में वन विभाग के पहाड़ की स्लाडिंग हो गई. नीचे सुरक्षा गार्ड सुबोध कुमार कार्यरत था, जो हादसे का शिकार हो गया. उसकी डयूटी सुबह के सात बजे से तीन बजे तक थी. उसकी मोटरसाईकिल भी दब गई. वहां एक इलेक्ट्रीक ड्रिल मशीन थी, वह भी मलवे में दब गई.
नियोजन दे दिया जिम्मेवारी खत्म !
जब लैंडस्लाडिंग हुई उस समय तो किसी को यह नहीं मालूम हुआ कि कोई कर्मचारी उसकी चपेट में आ गया है, लेकिन कुछ समय बाद जब सुबोध कुमार वापस नहीं लौटा तो उसकी खोज की गई. इसके बाद प्रबंधन में अफरा-तफरी मच गई. परियोजना पदाधिकारी अनिल कुमारी तिवारी मौके पर पहुंचे और मलवा हटाने के काम में लग गए. सुबोध कुमार का पुत्र धीरज कुमार व उनके परिजन को भी जानकारी मिली तो वे बेचैन हो गए. अनुमान के आधार पर लैंडस्लाडिंग के स्थल पर मलवा हटाने का कार्य शुरू किया जो 47 घंटे बाद सुरक्षा गार्ड का शव निकाला गया. शव मिलने के कुछ ही घंटे में उसके पुत्र धीरज को नियुक्ति पत्र दे दिया गया. पोस्टमार्टम के बाद शव का अंतिम संस्कार 3 अक्टूबर को ही कर दिया गया.
सुरक्षा पर सवाल कौन है जिम्मेदार
सीसीएल प्रबंधन सुरक्षा के सवाल पर अपने कर्मचारियों को जागरूक करते रहती है. लेकिन गोविन्दपुर परियोजना के खूली खदान में जो हादसा हुआ उसके लिए मंथन चल रहा है. खान सुरक्षा के उप निदेशक नरेश तेजावथ भी पहुंचे और हादसे की जानकारी ली. इस संबंध में परियोजना पदाधिकारी श्री तिवारी ने बताया कि तत्काल जांच चल रही है. अब देखना है कि इसकी गाज किसके सर गिरती है.
अवैध उत्खनन से पहाड़ हो गया खोखला
बता दें कि खनन माफिया पहाड़ पर अवैध रूप से कोयला का खनन कराते हैं. अवैध खनन के कारण पहाड़ खोखला हो गया है. वहां इस तरह का हादसा कभी भी हो सकता है. 01 अक्टूबर को जो हादसा हुआ, वह अवैध खनन व बारिश का पानी के वजह से हुआ है, ऐसा प्रबंधन व यूनियन के नेताओं का मानना है. हालांकि नेता इसे प्रबंधन की चूक मान रही है और उच्च स्तरीय जांच की मांग भी कर रहे हैं. मगर अवैध माइनिंग को रोका नहीं गया तो वहां काम करना खतरे से खाली नहीं होगा.
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