Bermo: गोमिया प्रखंड अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में काम करनेवाले मनरेगा मजदूरों को मज़दूरी नहीं मिलने के कारण उनका हाल बेहाल है. मजदूरों को काम के बाद मज़दूरी नहीं मिले तो जमींदारी प्रथा की याद ताजा हो जाती है. और मौजूदा समय में यह हाल गोमिया के हज़ारों मज़दूरों का है. सिर्फ गोमिया में ही करीब बीस लाख रुपये के मज़दूरी का भुगतान लंबित है, जबकि जिला में करोड़ों रुपये का बकाया है.
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महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा
मनरेगा योजना भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है. सरकार ने इस योजना को लाकर देश के 70% ग्रामीण क्षेत्रों में बसने वाले ग्रामीणों को गांव में ही रोजगार देने की गारंटी की है. लेकिन इन दिनों गोमिया में इस योजना के तहत किये गए काम के बदले मज़दूरी नहीं मिल रही है. जिसके कारण वे मुफ़लिसी की जिंदगी जीने को मजबूर हैं.
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जनवरी से मजदूरी भुगतान लंबित
इस संबंध गोमिया बीपीओ राकेश कुमार ने बताया कि, दिसंबर महीने तक का राशि उपलब्ध था. जिसका भुगतान हो चुका है. लेकिन जनवरी माह से सरकार द्वारा मनरेगा योजना में आवंटन के आधार पर राशि नहीं भेजी है. लिहाजा मज़दूरों का मज़दूरी भुगतान नहीं हो सका है.
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रोजगार का अहम जरिया मनरेगा
कुआँ, डोबा, दीदी बाड़ी और टीसीबी योजना के तहत प्रखंड के प्रत्येक पंचायत में काम कराया गया. इन योजनाओं के क्रियान्वयन के कारण गांव में ही लोगों को रोजगार के साधन मिलने लगे. लॉकडाउन के बाद बड़ी संख्या में मजदूर अपने घर लौटे थे. जिसके कारण उन्हें भी मनरेगा योजना से काम दिया गया. बेरोजगारी की समस्या हल होने के कारण मज़दूर काम के लिए बाहर नहीं गये. सरकार की भी यही मंशा थी कि, ग्रामीण क्षेत्र के किसान मजदूरों को गांव में ही रोजगार मिले. लेकिन इन मनरेगा मजदूरों को काम करने के बाद उन्हें मजदूरी नहीं मिली.
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पलायन कम, मजदूर परेशान
गोमिया प्रखंड में 36 पंचायत हैं. इस पंचायत में तीन-चार पंचायतों को छोड़ दें तो, अमूमन सभी पंचायत ग्रामीण क्षेत्रों में आते हैं. पिछले दिनों सरकार की योजना के अंतर्गत प्रत्येक पंचायत में कम से कम दो सौ मानव दिवस सृजन करने का लक्ष्य रखा गया. ताकि हर बेरोजगार को काम मिल सके. इसी प्रकार कुआं, टीसीबी, दीदी बाड़ी योजना के अलावा मिट्टी के अन्य तरह के काम कराये गए. ऐसे में ग को गांव में ही काम मिल गया, और वे पलायन को विवश नहीं हुए। लेकिन पिछले जनवरी माह से इन मजदूरों का मजदूरी भुगतान नहीं होने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति गड़बड़ा गई है.
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