Bermo: बोकारो जिले के चर्चित झुमरा पहाड़ के आसपास पुलिस ने सघन सर्च अभियान चलाया. वैसे तो इस क्षेत्र में सीआरपीएफ, जगुआर, जिला बल सहित थाना के पुलिस फोर्स का सर्च का अभियान जारी रहता है. लेकिन पिछले दिनों चाईबासा में माओवादियों और सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ के बाद झुमरा पहाड़ और ऊपरघाट में सीआरपीएफ अलर्ट हो गयी है.
शनिवार को सीआरपीएफ की अलग-अलग टुकड़ियां खोजी कुत्तों के साथ संभावित इलाकों छापामारी कर रही है. बोकारो, गिरिडीह और हजारीबाग जिले की सीमा से सटे जंगली एवं दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में माओवादियों का डेरा रहता है. पुलिस ने एहतियात बरतते हुए हजारीबाग, गिरिडीह और बोकारो जिले की सीमा को सील कर ऑपरेशन शुरू किया है.
इसे भी पढ़े: चाईबासा में लैंड माइन ब्लास्ट, झारखंड जगुआर के तीन जवान शहीद, तीन गंभीर रूप से घायल, मुठभेड़ जारी
अभी तक हाथ नहीं लगी है सफलता
हालांकि इस सर्च अभियान में अभी तक सीआरपीएफ को किसी प्रकार की सफलता हाथ नहीं लगी है. लेकिन सूत्रों का कहना है कि चाईबासा मुठभेड़ के बाद यहां के पुलिस और सीआरपीएफ कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है. इसलिए मुठभेड़ की सूचना मिलने के बाद एसडीपीओ एसएस झा के नेतृत्व में झुमरा पहाड़ और ऊपरघाट में छापामारी शुरू हो गई है. इस अभियान से माओवादियों के लोकल दस्ता भूमिगत हो गये हैं.
नक्सलियों का सेफ जोन है झुमरा पहाड़
माओवादियों के लिए झुमरा पहाड़ सबसे मुफीद जगह है. इस पहाड़ से सटे लुगु और जिनगा पहाड़ भी है. जहां से नक्सलियों का दूसरे जिलों एवं राज्य में आना जाना होता है. इसी प्रकार नावाडीह थाना क्षेत्र के ऊपरघाट के घने जंगल और पगड़डी नक्सलियों के लिए सेफ जोन साबित होती है. घने जंगलों में माओवादी कई दिनों तक रुकते हैं. साथ ही दुर्गम होने के कारण पुलिस वहां पहुंच नहीं पाती है. इसलिए माओवादी इसे अपना सेफ प्लेटफार्म भी मानते हैं. झुमरा पहाड़ और ऊपरघाट में मोस्ट वांटेड माओवादी मिथिलेश उर्फ दुर्योधन की हुकूमत चलती है.
पुल-पुलिया की हो रही है जांच
सीआरपीएफ और स्थानीय पुलिस हर क्षेत्र के पुल और पुलिया की जांच कर रही है. इन्हीं जगहों से माओवादी गुजरते हैं. इस दौरान उस रास्ते से आवागमन कर रहे राहगीरों सहित उनकी मोटरसाइकिलों की भी जांच की जा रही है.
इसे भी पढ़े: वर्षों से जेल में बंद 84 कैदियों की रिहाई के लिये प्रयासरत झालसा, कैदियों को दी जाएगी न्यायिक मदद