Bermo: लगान फ़िल्म की तरह नही, लेकिन धान खेत के लिए बेरमो अनुमंडल के कसमार प्रखंड में भी एक प्रतियोगिता होती है. यहां हारने पर कोई लगान नही देना पड़ता है, बल्कि जीतने पर एक वर्ष के लिए विजेता को एक खेत दी जाती है. जिसपर वह सालभर खेती कर सके.
कसमार प्रखंड के मंजूरा गांव में मकर संक्रांति के अवसर पर बेझा बिंधा नामक तीरंदाजी प्रतियोगिता आयोजित की जाती है. इसके तहत विजेता को एक वर्ष के लिए एक धान खेत उपहार में दिया जाता है. हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी धान खेत के लिए दर्जनों युवाओं ने इस प्रतियोगिता में भाग लिया. इस बार झरमुंगा के पिंटू करमाली ने तीरंदाजी में निशाना साधा और विजेता बने.
विजेता बनने के बाद परंपरा के अनुसार उन्हें कंधे पर उठाकर पूरे गांव में घुमाया गया. प्रतियोगिता में दर्जनों प्रतिभागियों ने काफी उत्साह के साथ भाग लिया. इस दौरान काफी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे. उल्लेखनीय है कि मंजूरा निवासी स्वर्गीय रीतवरण महतो द्वारा करीब 100 साल पहले इस अनूठी परंपरा की शुरुआत की गई थी. तब से प्रत्येक वर्ष काफी उत्साह-उमंग के साथ यह प्रतियोगिता आयोजित होती आ रही है.
इस प्रतियोगिता के तहत निशाना साधने के लिए खेत के बीच में केला का एक खंभा गाड़ा गया था. प्रतिभागियों ने उसी पर निशाना साधा. वर्षों पूर्व शिकार करना इंसान का शौक था. साथ ही पेट की भूख शांत करने की मजबूरी भी थी. इस मायने में तीरंदाजी को बढ़ावा देना इस कार्यक्रम का मकसद था. यह भी कहा जा सकता है कि उस वक्त जंगल से सटा क्षेत्र व गांव होने के कारण अक्सर जंगली हिंसक पशुओं का हमला भी होता रहता था. इसमें इंसान एवं खेती में सहयोगी पालतू जानवरों की सुरक्षा भी करनी होती थी. इन सभी बिंदुओं को ध्यान में रखकर ही इस अनूठी परंपरा की शुरुआत की गयी थी.
मौके पर विजय किशोर गौतम, गिरिवर महतो, तेजनारायण महतो, विनय कुमार, सतीशचन्द्र महतो, ओमप्रकाश महतो समेत सैंकड़ो लोग मौजूद थे.
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