Pravin kumar
Ranchi/Garhwa : सरकारी योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन से ग्रामीणों का जीवन बदल रहा है. वे खुशहाल हो रहे हैं. दीदी-बाड़ी और बिरसा हरित ग्राम योजना का बेहतर इस्तेमाल कर दो महिलाओं ने न सिर्फ अपनी गरीबी दूर की, बल्कि मिसाल कायम कर दूसरों के लिये प्रेरणा के स्रोत भी बनी. ये दोनों महिलाएं गढ़वा जिले के बिर्बंधा पंचायत की हैं और इनके नाम रीमा देवी एवं स्नेहलता हैं. इनकी जागरुकता और मेहनत से न सिर्फ उनकी गरीबी दूर हुई, बल्कि दोनों ने दूसरों के लिये आंखें भी खोल दी कि कैसे सरकारी योजनाओं का बेहतर इस्तेमाल अपने घर को खुशहाल बनाया जाये.
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दीदी बाड़ी योजना से सब्जियां उगाकर मशहूर हुईं रीमा देवी
रीमा देवी ने दीदी बाड़ी योजना से जुड़कर अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारा. उन्होंने इस योजना के तहत अपनी 5 डिसमिल जमीन पर बैंगन, पालक, गाजर मूली, मिर्च, कद्दू और करेला के पौधें लगाये. इसमें 20 किलो बैंगन, 25 किलो पालक, 10 किलो खीरा, 20 किलो गाजर, 5 किलो मिर्च, 10 किलो करेले का उत्पादन हुआ. रीमा देवी कहती हैं कि दीदी बाड़ी योजना से जुड़ने से पहले वह सब्जियां खरीद कर खाती थीं, जिसमें हर दिन 50 से 70 रुपये खर्च होते थे. जब खुद दीदी बाड़ी योजना से जुड़कर सब्जियों का उत्पादन किया, तब न सिर्फ बचत हुई बल्कि स्वास्थ्य में भी सुधार आया. वहीं किसान मेले में जब उन्होंने अपनी उगायी सब्जियों की प्रदर्शनी लगायी, तो वहां भी खूब सराहना हुई.
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स्नेहलता की उपजाई सब्जियों से भाई का शूगर हुआ कंट्रोल
गढ़वा के सोह गांव की स्नेहलता पांडेय ने दीदी बाड़ी योजना से जुड़कर अपनी जमीन पर 30 किलो पालक, 25 किलो खीरा, 45 किलो गाजर, 25 किलो लौकी, 20 किलो करेला, 20 किलो मूली और 25 किलो टमाटर का उत्पादन किया. स्नेहलता बताती हैं कि घर में पर्याप्त सब्जियां पैदा होने से वह इनकी बिक्री भी कर पाती हैं. उन्होंने कहा कि उनके बड़े भाई शूगर के मरीज थे, जिन्हें खाने में काफी परहेज करना पड़ता है. दीदी बाड़ी योजना से घर में उगायी सब्जियों के सेवन से उनका शूगर काफी नियंत्रित हुआ है. अब डॉक्टरों की सलाह पर उन्होंने दवा लेना भी बंद कर दिया है.
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सफल किसानों में शामिल हुई संतरी देवी
संतरा देवी गढ़वा की करवा पंचायत की रहने वाली हैं. उन्होंने दीदी बाड़ी योजना के तहत अपने खेत में 60 किलो टमाटर, 100 किलो बैंगन, 80 किलो बंदगोभी, 8 किलो मिर्च और 30 किलो भिंडी का उत्पादन किया. संतरा देवी अपनी मेहनत से इलाके के सफल किसानों में गिनी जाने लगी हैं. जैविक कीटनाशक और गोबर खाद का प्रयोग कर उन्होंने कम लागत में अच्छी फसलों की पैदावार की. गांव की दूसरी महिलाएं भी अब उनके मार्गदर्शन में दीदी बाड़ी योजना से जुड़कर सब्जियां लगा रही हैं.
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बिरसा बागवानी योजना ने बदली रामू पांडेय की जिंदगी
रामू पांडेय ने बिरसा बागवानी योजना से जुड़कर सफलता पाई है. गढ़वा की कुंडी पंचायत के रहने वाले रामू ने अपनी एक एकड़ जमीन पर 112 पौधे लगाये हैं, जिसमें 10 शीशम, 20 सागवान, 20 गम्हार और 32 करंज के पौधें हैं. रामू ने इन्तेक्रोप्पिंग के माध्यम से उसी जमीन पर आलू, सरसों और राई भी लगाये हैं. इसके उत्पादन से वह अपना आजीविका चला रहे हैं. उन्होंने अबतक 3 क्विंटल आलू, 40 किलो सरसों और 20 किलो राई का उत्पादन किया है.
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हरित ग्राम योजना से जल्द खत्म होने वाली है गिरिधारी की गरीबी
गिरिधारी सिंह भवनाथपुर की मकरी पंचायत के रहने वाले हैं. डेढ़ साल पहले वे हरित ग्राम योजना का लाभ लेने के लिए एक स्वयं सहायता समूह से जुड़े. पहले परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है, लेकिन अब बहुत जल्द उनकी आर्थिक स्थिति सुधरने वाली है. इस योजना से जुड़कर उन्होंने 80 आम, 12 अमरूद, 8 नींबू, 5 कटहल और दो काजू के पौधे लगाये हैं. ये पौधे बहुत जल्द फल देने वाले हैं.
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अंजुम और सोनिया ने सुधारी अपनी आर्थिक स्थिति
बैंकिंग करेस्पांडेंट सखी बनकर रामगढ़ की मगनपुर पंचायत की अंजुम आरा ने लॉकडाउन के समय 50 लाख रुपये से ज्यादा का ट्रांजेक्शन किया है. अंजुम अपनी पंचायत के साथ आसपास की पंचायतों के लोगों को भी बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराती हैं. वहीं खूंटी जिले के कर्रा प्रखंड की सोनिया कंसारी भी अपनी पंचायत के लोगों तक निरंतर पैसा जमा-निकासी से लेकर बीमा तक की सभी सेवाएं घर-घर जाकर प्रदान कर रही हैं. वह हर महीने 25-30 लाख रुपये तक का ट्रांजेक्शन कर लेती हैं.
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क्या कहतीं हैं मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी
मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी कहती है कि राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं को शत प्रतिशत क्रियान्वन सुनिश्चित कर लाभूकों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है. मनरेगा योजना वर्तमान समय में ग्रामीणों के लिए वरदान बन गया है. ”दीदी बाड़ी योजना” से लाभुकों के जीवन में बदलाव आ रहा है. इस बदलाव के पथ प्रदर्शक बने हैं गढ़वा जिले के बिर्बंधा पंचायत की रहने वाली रीमा देवी एवं स्नेहलता. वर्तमान समय में रीमा देवी एवं स्नेहलता दीदी बाड़ी योजना से अपने पूरे परिवार का भरण पोषण तो कर ही रही है. साथ ही जीवन को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है.