Surjit Singh
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्तीय वर्ष 2021-22 का बजट पेश कर दिया है. बजट की सबसे बड़ी घोषणा यही है कि केंद्र सरकार अब सबकुछ बेचेगी. बैंक, इंश्योरेंस कंपनी, एयरपोर्ट, सड़कें, बिजली ट्रांसमिशन लाइन से लेकर रेलवे के डेडिकेटेड फ्रेट कोरिडोर, वेयरहाउस आदि. मतलब सबकुछ. जी हां, मोदी सरकार गेल, इंडियन ऑयल की पाइप लाइन और स्टेडियम की भी बिक्री करेगी. बजट में मोदी सरकार की यह सबसे बड़ी घोषणा है.
सरकार जिस तरह सरकारी संपत्तियों को बेचना चाहती है, उससे ऐस लगता है, सरकारी संपत्तियों को बेचना मोदी सरकार की चुनावी घोषणा थी, जिसे वह हर हाल में पूरा करना चाहती है. बाकी तो सबको याद ही होगा वो नारा- “देश नहीं बिकने दूंगा”
देश की संपत्ति को खरीदने का मौका विदेशी निवेशकों को भी मिलेगा. इंडिया टुडे के एडिटर अंशुमान तिवारी के अनुसार पहली बार ऐसा हो रहा है जब भारत में सरकारी संपत्तियों की बिक्री इस तरह से शुरु होगी. बजट पर संसाधनों का दबाव दिख रहा है. सरकार ने बेचे जाने वाले संपत्तियों की सूची पहले से ही तैयार कर ली है. मंत्रालयों से सहमति ली जा चुकी है. यदि इस साल बिक्री हो सकी, तो सरकारी घाटा कम करने में मदद मिलेगी. कुल मिलाकर सरकार बिना किसी लंबी प्रक्रिया में शामिल हुए सरकारी संपत्तियों को बेचेगी.
बजट में दूसरी सबसे बड़ी घोषणा यह है कि केंद्र सरकार इस साल 12 लाख रुपये कर्ज लेगी. मोदी सरकार का राजकोषीय घाटा रिकॉर्ड तोड़ चुकी है. यह जीडीपी का 9.5 प्रतिशत पर है. इस साल सरकार ने खर्ज का बजट 4 लाख करोड़ रुपये अधिक रखा है. दूसरी बड़ी घोषणा में बैंकों को 20,000 करोड़ रुपये देने की घोषणा भी शामिल हैं.
मोदी सरकार की तीसरी बड़ी घोषणा छोटे कारोबारियों के लिये हैं. 2 करोड़ रुपये के टर्न ओवर वाली कंपनियों को छोटी कंपनी माना जायेगा. इससे सरकारी स्तर पर छोटी कंपनियों को मिलने वाले लाभ का दायरा बढ़ेगा.
आर्थिक मामलों पर नजर रखने वाले गिरिश मालवीय के मुताबिक इस साल सरकार LIC को भी बेच देगी. 28 कंपनियों की लिस्ट तैयार है. इसके अलावा नीति आयोग से सरकार ने और भी सरकारी कंपनियों की लिस्ट मांगी है, जिसे बेचा जायेगा.
बजट में मोदी सरकार की सबसे बड़ी घोषणा में एक यह भी है कि अब केंद्रीय करों में से राज्यों को ज्यादा रुपया मिलेगा. अब तक केंद्रीय करो में राज्य सरकार का हिस्सा 30 से 35 प्रतिशत हुआ करता है. मोदी सरकार ने 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों को मानते हुए इसे 41 प्रतिशत कर दिया है. इस तरह राज्यों को पहले की तूलना में 6 से 11 प्रतिशत ज्यादा राशि हासिल होगा.