Patna : पटना हाईकोर्ट के बिहार जाति जनगणना की अनुमति देने वाले आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में 6 अक्टूबर को सुनवाई होगी. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एस. वी. एन. भट्टी की पीठ ने सुनवाई के लिए याचिकाओं को सूचीबद्ध कर लिया है. पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को इसकी जानकारी दी. इससे पहले छह सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई तीन अक्टूबर तक टाल दी थी. वहीं सात अगस्त को शीर्ष अदालत ने पटना हाईकोर्ट द्वारा जाति सर्वेक्षण को हरी झंडी देने के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और सुनवाई 14 अगस्त तक के लिए टाल दी थी. (पढ़ें, दिल्ली-NCR सहित पूरे उत्तर भारत में धरती कांपी, रिक्टर स्केल पर तीव्रता 6.2, लोग घरों स बाहर भागे)
गैर सरकारी संगठन सहित कई लोगों ने दायर की है याचिका
पटना हाईकोर्ट के बिहार जाति जनगणना की अनुमति देने वाले आदेश को लेकर गैर सरकारी संगठन ‘एक सोच एक प्रयास’ की याचिका दायर की है. इसके अलावा कई अन्य याचिकाएं भी दायर की गयी हैं, जिनमें एक याचिका नालंदा निवासी अखिलेश कुमार की भी है, जिन्होंने दलील दी है कि इस सर्वेक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना संवैधानिक आदेश के खिलाफ है. कुमार की याचिका में कहा गया है कि संवैधानिक आदेश के तहत सिर्फ केंद्र सरकार को ही जनगणना करने का अधिकार है.
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बिहार की कुल आबादी में ओबीसी और ईबीसी की हिस्सेदारी 63 फीसदी
बता दें कि बिहार सरकार ने गांधी जयंती के मौके पर जाति आधारित गणना सर्वे की रिपोर्ट जारी की थी. अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार की कुल आबादी 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है. राज्य की कुल आबादी में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) प्रतिशत और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) की हिस्सेदारी 63 प्रतिशत है. इसमें ईबीसी 36 प्रतिशत और ओबीसी 27.13 प्रतिशत है. ओबीसी वर्ग में यादवों की संख्या आबादी के लिहाज से सबसे अधिक है, जो कुल आबादी का 14.27 प्रतिशत है. उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, यादव समूह से आते हैं. अनुसूचित जाति यानी दलितों की संख्या राज्य में कुल आबादी का 19.65 प्रतिशत है और करीब 22 लाख (1.68 प्रतिशत) लोग अनुसूचति जनजाति से संबंधित हैं.
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जनवरी 2023 में शुरू हुआ था सर्वे
बता दें कि नीतीश सरकार ने 2022 में जातिगत गणना कराने को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया था. इसके बाद जनवरी 2023 में इस पर काम शुरू हुआ. जातिगत गणना दो चरणों में आयोजित किया गया. पहला चरण जनवरी में और दूसरा चरण अप्रैल में शुरू हुआ. लेकिन दूसरे चरण के दौरान ही पटना हाईकोर्ट ने इस पर अस्थायी रोक लगा दी. कोर्ट के फैसले के कारण दूसरा चरण पूरा नहीं हो पाया था. लेकिन एक अगस्त को पटना हाईकोर्ट ने जाति आधारित गणना पर लगी रोक हटा दिया. जिसके बाद नीतीश सरकार ने दूसरा जातीय गणना का काम पूरा किया.
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