Patna : बिहार शिक्षा विभाग ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों (डीएम) को फरमान जारी किया है. उन्होंने यह सुनिश्चित करने को कहा है कि स्कूल समय में शिक्षक जाति आधारित गणना कार्य में शामिल न हों. इसको लेकर अपर मुख्य सचिव (एसीएस) केके पाठक ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों (डीएम) को पत्र लिखा है. केके पाठक ने सभी डीएम को लिखे अपने पत्र में कहा कि राज्य में जाति आधारित गणना कार्य की क्षेत्र संबंधी गतिविधियां अब लगभग पूरी हो चुकी हैं. अभी डाटा एंट्री का काम हो रहा है. अत: आपसे आग्रह किया जाता है कि विद्यालय समय में डाटा-एंट्री कार्य के लिए शिक्षकों की सेवाएं न लें. (पढ़ें, स्वतंत्रता दिवस की तैयारी शुरू, मोरहाबादी मैदान में पुलिसकर्मियों ने किया रिहर्सल)
पहले शिक्षकों को केवल जातिगत गणना में लगाने का दिया था आदेश
इससे पहले एक अगस्त को भी भी केके पाठक ने राज्य के सभी डीएम को आदेश जारी किया था. उन्होंने कहा था कि डीएम शिक्षकों को केवल जातीय गणना में लगायें. इसके अलावा उनसे अन्य कोई प्रशासनिक कार्य नहीं लिया जाये. ताकि सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित नहीं हो. आदेश में यह भी कहा गया था कि शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति करते समय ध्यान रखें कि विद्यालय पूरी तरह से शिक्षक विहीन ना हो जाये.
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हाईकोर्ट के फैसले के बाद सर्वे फिर से शुरू किया गया
बता दें कि पटना हाईकोर्ट से जातिगत अधारित जनगणना को हरी झंडी मिलने के बाद बिहार सरकार ने जाति सर्वेक्षण फिर से शुरू किया. कोर्ट ने बिहार सरकार द्वारा कराये जा रहे जाति सर्वेक्षण को वैध और कानूनी ठहराया था. अदालत ने उन याचिकाओं को भी खारिज कर दिया जो पिछले साल जून में राज्य सरकार द्वारा शुरू किये गये जाति सर्वेक्षण के खिलाफ दायर की गयी थीं. पटना हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी है. जिस पर 14 अगस्त को सुनवाई होगी.
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