Ranchi : सबका साथ, सबका विकास के नारे के साथ बीजेपी राजनीति करती है, लेकिन बीजेपी के ही कुछ नेता जातिवाद को लेकर सार्वजनिक मंचों पर बातें करने लगे हैं. इससे पार्टी की छवि पर असर पड़ रहा है. ऐसे ही एक नेता हैं सुनील कुमार साहू. साहू पिछली कार्यसमिति में बीजेपी ओबीसी मोर्चा के महामंत्री रह चुके हैं. वह इन दिनों सवर्णों के खिलाफ मुखर हैं. उनका कहना है कि बंगाल चुनाव में सवर्णों ने नहीं, बल्कि एससी, एसटी और ओबीसी ने बीजेपी का साथ दिया. उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. बीजेपी का साथ देने वाले एसटी, एससी और ओबीसी ही बलात्कार और हिंसा के ज्यादा शिकार हुए हैं. सवर्णों द्वारा दलितों का आरक्षण बेरहमी से लूटा जा रहा है और इसे देखने वाला कोई नहीं है.
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रघुवर दास से भी सवाल पूछ लेते हैं सुनील साहू
गौरतलब है कि सुनील कुमार साहू बाबूलाल मरांडी के साथ जेवीएम में थे. उन्हें महासचिव का पद मिला था. 5 साल पहले प्रदीप यादव पर तानाशाही का आरोप लगाकर उन्होंने जेवीएम से इस्तीफा दे दिया था और बीजेपी में शामिल हो गये थे. हैरानी की बात ये है कि इन दिनों वे बीजेपी में रहकर भी बीजेपी के बड़े नेताओं से विपक्षी नेताओं की तरह सवाल पूछ रहे हैं. हाल ही में केंद्रीय कैबिनेट के विस्तार के बाद रघुवर दास ने नये मंत्रियों को सोशल मीडिया पर बधाई दी थी, जिसमें सुनील साहू ने रिप्लाई किया और रघुवर दास से पूछा कि ‘’ बीजेपी के सम्मानित राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व सीएम रघुवर जी कृपया बताने का कष्ट करें कि बीजेपी को 95 फीसदी से अधिक वोट देने वाले तेली समाज को मोदी कैबिनेट में अबतक कितनी भागीदारी मिली है. बता दें रघुवर दास ही सुनील साहू को बीजेपी में लाये थे.
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राष्ट्रीय तेली-साहू महासंगठन के प्रदेश अध्यक्ष का है बयान- सुनील साहू
सुनील साहू से जब उनके बयान पर राय ली गयी तो उन्होंने कहा कि यह बयान बीजेपी नेता सुनील साहू का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय तेली-साहू महासंगठन के प्रदेश अध्यक्ष का है. उन्होंने संगठन के प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते बयान दिया है.
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पार्टी करेगी समीक्षा- अमित कुमार
वहीं मामले पर बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता अमित कुमार ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष और संगठन महामंत्री ऐसे मामलों को देखते हैं. बीजेपी नेताओं के बयानों की समीक्षा के लिए पार्टी के अंदर अलग विंग है. अगर ऐसा कोई बयान आया है, तो पार्टी आंतरिक स्तर पर समीक्षा करेगी.
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