Surjit Singh
भारतीय जनता पार्टी, यानी भाजपा. हर वक्त चाल-चरित्र की बात करने वाली पार्टी. खुद को दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी होने का दंभ. राष्ट्रवाद के रथ पर सवार रहने वाली और खुद को सबसे बड़ा देशभक्त बताने वाली पार्टी. बाकी सब देशद्रोही. लेकिन झारखंड में इस पार्टी को क्या हो गया है. क्या हो गया है इसके विधायकों को. तर्क, तथ्य, ओजपूर्ण भाषण की जगह विधायकों की जुबान पर गाली और सीटी आ गयी है. और नारा जय श्रीराम का.
पिछले तीन-चार दिनों से झारखंड विधानसभा में क्या हो रहा है. भाजपा के विधायक गेरुआ रंग की टी-शर्ट पहन कर पहुंच रहे हैं. विधायक भानू प्रताप शाही विधानसभा में ही सीटी बांट रहे हैं. विरोध के नाम पर भाजपा के विधायक सीटी बजा रहे हैं. जमीन पर लेट जा रहे हैं और नारा लगा रहे हैं- जय श्रीराम.
ज्यादा दिन नहीं बीते हैं. रघुवर सरकार मुख्यमंत्री थे. पांच साल तक. विपक्ष के सवाल और हंगामे पर गाली तक दे डाली थी. विपक्ष के नेता ने हेमंत सोरेन को स्सा… तक कह डाला था. आज वही हेमंत सोरेन सत्ता में हैं. विरोध के ऊल-जलूल तरीकों के बीच भी विपक्षी नेताओं के साथ फोटो खिंचवाते हुए.
तो इसे क्या समझा जाये. झारखंड विधानसभा में अब यही सब चलेगा. सत्ता में रहेंगे तो गालियां देंगे. विपक्ष में रहेंगे तो सीटी बजायेंगे. ना तर्क, ना तथ्य. बस किसी तरह हंगामा खड़ा करना ही मकसद. विरोध के नाम पर विधायक सीटी बजायेंगे. तो क्या फर्क रह जायेगा नुक्कड़ और विधानसभा में. इस पर भी नारा लगायेंगे जय श्रीराम का.
भाजपा कह सकती है जय श्रीराम से किसी को क्या आपत्ति. बात भी सही है. इस नारे से किसी को क्या और क्यों आपत्ति हो सकती होगा. पर नारा कहां लगाया जा रहा. यह भी देखने-समझने वाली बात है. विधानसभा में. क्या इसी नारा को लगाने के लिए विधानसभा पहुंचे हैं. विधानसभा जनता की समस्याओं को उठाने के लिए है. जनहित के कानून बनाने के लिए है. तार्किक बहस और सरकार की गलत नीतियों का विरोध करने के लिए है. ना कि धार्मिक नारेबाजी या सीटी बजाने के लिए.