Ranchi : प्रदेश बीजेपी के मोर्चों की धार कुंद हो चली है. कुछ विशेष समुदायों और समाज के विभिन्न तबकों की आवाज उठाने के लिए बने ये मोर्चे प्रभावी तरीके से अपना काम नहीं कर पा रहे हैं. कुछ मोर्चे तो इन दिनों बिल्कुल निष्क्रिय ही नजर आ रहे हैं. अल्पसंख्यक और ओबीसी मोर्चा ने इस साल कोई बड़ा आंदोलन या कार्यक्रम नहीं किया है. किसान मोर्चा, महिला मोर्चा, एसटी मोर्चा और एससी मोर्चा एक-दो मुद्दे उठाकर शांत हो गये. युवा मोर्चा दूसरे मोर्चों से ज्यादा सक्रिय है. कोरोना काल में युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने प्रदेश भर में राहत कार्य चलाया. हाल ही में राज्य सरकार के खिलाफ मटका फोड़ कार्यक्रम किया. युवा मोर्चा के नेता सड़क के साथ सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव हैं, जबकि दूसरे मोर्चों की सक्रियता भी सोशल मीडिया पर कम है. दरअसल कोरोना के दौरान कंफर्ट जोन में चले गये मोर्चों के नेता अब उससे बाहर निकलने की कोशिश नहीं कर रहे हैं.
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अल्पसंख्यक आयोग, मदरसा बोर्ड जैसे मुद्दों पर कोई रणनीति नहीं
अल्पसंख्यक मोर्चा ने फरवरी 2021 में कार्यसमिति की बैठक की. उसके बाद शांत हो गया. राज्य में अल्पसंख्यक आयोग का गठन, मदरसा बोर्ड का गठन, उर्दू एकेडमी अल्पसंख्यकों के लिए बड़ा मुद्दा है, लेकिन मोर्चा ने इन मुद्दों पर आवाज नहीं उठायी. 7 महीने में कोई आंदोलन और विरोध-प्रदर्शन नहीं हुआ. मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अनवर हयात कहते हैं कोरोना काल में अल्पसंख्यक मोर्चा प्रदेश कार्यसमिति और दूसरे मोर्चों के कार्यक्रमों और आंदोलनों में सक्रिय रहा है. उनका तर्क है कि राज्य में 2347 बलात्कार की घटनाएं होती है और इनमें कुछ पीड़ित अल्पसंख्यक भी होती हैं तो अल्पसंख्यक मोर्चा को इसके लिए अलग से आवाज उठाने की जरूरत क्यों है. बीजेपी के आंदोलनों में ही मोर्चा शामिल होता है. रोजगार और किसानों के मुद्दे पर भी उनकी ऐसी ही राय है. उनका कहना है कि जल्द ही मोर्चा फिजिकल बैठक कर आंदोलनों की रणनीति तैयार करेगा.
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बलात्कार और महिला हिंसा की घटनाओं पर महिला मोर्चा चुप
बीजेपी महिला मोर्चा ने हाल के दिनों में दारोगा रूपा तिर्की मामले को छोड़कर महिलाओं से जुड़े दूसरे किसी मुद्दे को नहीं उठाया है. इस मुद्दे पर आंदोलन भी हुआ, लेकिन अब सिर्फ इसमें बीजेपी की ओर से बयान ही आ रहे हैं. वहीं महिला के साथ राज्य में हो रहे बलात्कार, हिंसा, शोषण और पलायन जैसे मुद्दों पर मोर्चा ने आंदोलन की कोई रणनीति तैयार नहीं की है. मोर्चा की अध्यक्ष आरती कुजूर का कहना है कि जल्द ही इन मुद्दों पर मोर्चा की ओर से प्रदर्शन किया जाएगा.
ओबीसी मोर्चा ने एक साल में नहीं किया कोई राज्यव्यापी आंदोलन
ओबीसी मोर्चा ने पिछले एक साल में पिछड़ी जाति के लोगों के लिए कोई राज्यापी धरना-प्रदर्शन या आंदोलन नहीं किया है. भविष्य में किन मुद्दों पर मोर्चा सरकार को घेरेगा, इसकी भी कोई रणनीति नहीं है. मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अमरदीप यादव दिल्ली में राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा की बैठक में शिरकत कर रहे हैं. उनका कहना है कि जल्द ही वापस लौट कर मोर्चा का विस्तार कर आंदोलन की रणनीति तैयार करेंगे.
सिर्फ मुद्दे उठाते हैं, लेकिन सरकार प्रेशर नहीं बना पाते
अनुसूचित जाति मोर्चा ने साहिबगंज, चाईबासा और जामताड़ा में दलितों पर हुए अत्याचारों के मुद्दे को उठाया, लेकिन मोर्चा इसपर सरकार को घेरने में नाकामयाब रहा. बाबूलाल मरांडी और दीपक प्रकाश ने भी इस मुद्दे पर दिलचस्पी ली थी. इसके बावजूद बीजेपी सरकार पर प्रेशर नहीं बना पायी. वहीं एक बार खेतों में आंदोलन करने के बाद हुए नेताओं पर हुए मुकदमे के बाद किसान मोर्चा भी बैकफुट पर चला गया. अनुसूचित जनजाति मोर्चा के पास तो जनजातियों से जुड़े सैकड़ों मुद्दे हैं, लेकिन आंदोलन की कोई रणनीति नहीं है. टीएसी के मामले पर एक-दो दिन हो-हल्ला करने के बाद यह मोर्चा भी शांत हो गया. जनजाति मोर्चा फिलहाल पार्टी के कार्यक्रमों में ज्यादा दिलचस्पी ले रहा है.