Ranchi : झारखंड विधानसभा बजट सत्र का आज 16वां दिन हैं. मंत्री चमरा लिंडा ने कहा कि एक महीने के अंदर अनुसूचित जाति आयोग के गठन की नियमावली बना ली जायेगी. विधि विभाग ने अनुमोदन दे दिया है. कार्मिक और वित्त विभाग से अनुमोदन होना बाकी है. काफी स्ट्रांग नियमावली बनाई जायेगी.
सदन में जितने भी एससी एमएलए हैं, वे अपना सुझाव दे सकते हैं. पदाधिकारी एक्सरसाइज नहीं कर पाते हैं. चमरा लिंडा शनिवार को सदन में मंजू देवी के सवाल का जवाब दे रहे थे. रौशन लाल चौधरी ने पूछा कि दर्जनों आयोग का गठन नहीं हो पाया है. कब तक होगा.
होल्डिंग टैक्स में काफी असमानताएं हैं : नीरा यादव
नीरा यादव ने कहा कि झारखंड नगरपालिका संपत्ति कर (निर्धारण, संग्रहण और वसूली) (संशोधन) नियमावली, 2022 के अनुसार, अब शहरी क्षेत्रों में आवासीय और गैर आवासीय भवनों के लिए होल्डिंग टैक्स वार्षिक किराया मूल्य के बजाय सर्किल रेट पर लगाया जा रहा है. इससे शहरी क्षेत्रों के गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ रहा है.
नीरा यादव ने बताया कि कोडरमा जिले के शहरी क्षेत्र में रहने वाले गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों से आदिनांक वार्षिक किराया दर अधिक वसूला जा रहा है. जबकि कोडरमा में जमीन की कीमत और फ्लैट का रजिस्ट्रेशन अन्य जिलों की तुलना में अधिक है. इससे यहां के लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
इस पर मंत्री रामदास सोरेन ने कहा कि डीसी की अध्यक्षता में कमेटी दर का निर्धारण किया जाता है. अगस्त की पहली तारीख को दर तय हो जाता है. जुलाई में बैठक होगी तो सारी बातों को रखा जायेगा. जो भी निर्णय होगा, आपको अवगत करा दिया जायेगा.
मंत्री सुदिव्य सोनू ने कहा कि सर्किल रेट के आधार पर दर का निर्धारण होता है. पिछले वर्षों में रजिस्ट्री जिस मूल्य पर होती है, उसी के आधार पर सर्किल रेट का निर्धारण होता है. फिर भी सरकार कोई रास्ता निकालेगी.
नीरा यादव ने कहा कि इसके लिए कमेटी बना दी जाए, जिसमें रिटायर्ड नगर प्रशासक को भी रखा जाये.
जमशेदपुर के 86 बस्तियों को मालिकाना हक देने का वादा पूरा करें : पूर्णिमा
पूर्णिमा साहू ने कहा कि जमशेदपुर पूर्वी के 86 बस्ती के लोगों को मालिकाना हक देने का वादा पूरा करें. झारखंड सरकार ने नीतिगत निर्णय 2005 में टाटा लीज नवीकरण का निर्णय लिया था, जिसके तहत 86 बस्तियों के लिए 1750 एकड़ जमीन को बाहर रखा गया था.
इन बस्तियों के निवासियों के लिए 10-10 डिसमिल जमीन आवासीय उद्देश्य से विभाग के संकल्प संख्या-817, दिनांक-22.02.2018 के तहत मालिकाना हक दिया जाना है. लेकिन यह अभी तक लागू नहीं किया गया है. जबकि सरकार ने इसका आश्वासन दिया था. कानून बनाकर इन लोगों को मालिकाना हक देना जरूरी है. इन बस्तियों में तीन लाख लोग रहते हैं, जो सरकारी सुविधाओं से वंचित हैं।
इस पर मंत्री रामदास सोरेन ने कहा कि रघुवर नगर के लोग जिस जमीन पर रह रहे हैं, इसे सरकारी उल्लंघन माना जायेगा. उन्होंने कहा कि यदि लोग आवेदन दें, तो सरकार बंदोबस्ती के लिए तैयार है. वहीं, पूर्णिमा साहू ने रघुवर नगर की जांच कराने की मांग की है.
आवश्यकता से अधिक आवास होंगे तो लीज देने पर किया जायेगा विचार : सुदिव्य
समीर कुमार मोहंती ने कहा कि मंत्रियों के लिए प्रोजेक्ट भवन के करीब स्मार्ट सिटी में और विधानसभा के सदस्यों के लिए वर्तमान विधान सभा के पास आवास का निर्माण किया जा रहा है. राज्य सरकार के मंत्रियों एवं विधानसभा के सदस्यों को शीघ्र ही इन आवासों को आवंटित किया जाना है.
विधान सभा सचिवालय एवं राज्य सरकार के सचिवालय के पदाधिकारियों के लिए विधानसभा भवन के समीप ऑफिसर्स क्चार्टर बनाने की योजना नई विधान सभा भवन के निर्माण के समय ही सैद्धान्तिक रूप से स्वीकृत है.
वर्तमान में अधिकांश विधायक, मंत्री एवं राज्य सरकार के पदाधिकारीगण रांची के एचईसी टॉउनशीप अवस्थित एफ टाईप और ई टाईप के क्वार्टर में रह रहे हैं. इन आवासों की मरम्मति पर प्रतिवर्ष लगभग 200 करोड़ रूपये का सरकारी राजस्व व्यय होता है, जो नये निर्माण के बाद अनावश्यक सिद्ध होगा.
इस पर मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा कि स्मार्ट सिटी में मंत्रियों का बंगला बन चुका है. विधायक आवास का निर्माण कार्य अगस्त में पूरा हो जाएगा. जहां तक आवास के लीज की बात है तो वह 33 साल के लिए आवंटित है. चक्रिय आधार है. अधिकारी-पदाधिकारी ट्रांसफर हो कर आते जाते रहते हैं. आवश्यकता से अधिक आवास होंगे तो लीज देने पर विचार करेंगे.
डॉक्टरों के डायनेमिक एसीपी का अध्ययन करेगी सरकार : इरफान
हेमलाल मुर्मू ने कहा कि झारखंड में तीन हजार लोगों की आबादी पर एक चिकित्सक है, जबकि डब्ल्यूएचओ के मानक अनुसार, 1000 लोगों पर एक चिकित्सक होना चाहिए. विगत तीन वर्षों में 700 से अधिक डॉक्टर झारखंड छोड़कर चले गये हैं. परिणामतः राज्य के विभिन्न चिकित्सा संस्थानों में चिकित्सकों की कमी है.
रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में 1100 विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति की गयी थी. लेकिन वर्तमान में सिर्फ 115 ही बचे हैं. झारखंड में नया (डायनेमिक एसीपी) लागू नहीं है. जबकि देश के अधिकांश राज्यों ने इसे लागू कर दिया है.
एक तरफ तो राज्य में चिकित्सकों की कमी है. दूसरी तरफ राज्य में चिकित्सकों द्वारा निजी प्रैक्टिस और अन्य तरीकों से महंगे और अनावश्यक ईलाज किये जा रहे हैं, जो राज्य के मध्यम एवं गरीब लोगों के लिए प्रतिकूल है. यही कारण है कि 25 फरवरी को कुश्ती में घायल राज्य का एक किशोर पहलवान की पैसे के अभाव में रिम्स में भर्ती के दौरान मौत हो गयी.
इस पर इरफान अंसारी ने कहा कि स्पेशिलिस्ट डॉक्टरों के 1005 पद के विरूद्ध 275 और मेडिकल ऑफिसर के 2158 पद के विरूद्ध 1239 ही कार्यरत हैं. जहां डायनेमिक एसीपी लागू है. वहां उसका अध्ययन करेंगे. नियामक प्राधिकार के लिए टीम गठित कर एम्स भेजा जायेगा. इसके बाद जरूरी लगेगा तो लागू करेंगे. पहलवान के आश्रित को लाभ दिया जायेगा.