Chaibasa (Sukesh kumar) : हो भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग तेज हो चुकी है. इसे लेकर मंगलवार को हो समाज के सैकड़ों लोगों ने चाईबासा में पदयात्रा निकाली. एटे तुरतुंङ्ग सुल्ल पिटिका अकड़ा झींकपानी के नेतृत्व में यह पदयात्रा निकाली गई. सबसे पहले समाज के लोगों ने विधिवत पूजा-अर्चना की इसके बाद पूरे चाईबासा शहर का भ्रमण किया. इस दौरान 21 अगस्त को दिल्ली के जंतर-मंतर पर होने वाले विशाल धरना-प्रदर्शन में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करने की अपील लोगों से की गई.
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भाषा आंदोलन के समर्थन में उतरे लोग
मालूम हो कि 300 किमी की पदयात्रा 31 जुलाई से आरंभ हुई है और यह यात्रा जोड़ापोखर, झींकपानी में समाप्त होगी. इसके बाद समाज के लोग 21 अगस्त को दिल्ली स्थित जंतर-मंतर पर आयोजित होने वाले विशाल एक दिवसीय धरना प्रदर्शन में भाग लेंगे. इसके जरिए भारत सरकार के समक्ष हो भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की जाएगी. इसमें झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम, छत्तीसगढ़ आदि राज्य के लोग शामिल होंगे. इस पदयात्रा में मुख्य रूप से एटे तुरतुंङ्ग सुल्ल पिटिका अकड़ा झींकपानी के केंद्रीय अध्यक्ष दामोदर सिंह हांसदा, केरा पीड़ के मानकी सिद्धेश्वर समाड, महेंद्र जमुदा, अनंत कुमार हेंब्रोम, सिरजोन हाईबुरु, बसिल हेंब्रोम, प्रताप सिंह बनरा और काफी तादाद में महिला-पुरुष शामिल हुए जो अपनी भाषा संस्कृति को पहचान दिलाने के लिए संघर्षरत है.