Chaibasa (Sukesh Kumar) : झारखंड सरकार द्वारा अनुबंध कर्मियों को स्थायी करने की जो तैयारी की जा रही है वो स्वागत योग्य है. झारखंड सरकार के विभिन्न विभागों में कई वर्षों से कर्मचारी अनुबंध पर काम करते आ रहें है. बहुत सारे कर्मचारियों की तो अब नई नियुक्ति के लिये आवेदन करने की उम्र भी समाप्त हो गई है. ऐसे में सभी अनुबंध कर्मियों को स्थायी करने के लिए सरकार द्वारा जो नियम बनाया जा रहा है वह बहुत ही अच्छी पहल है. यह बातें ज्ञानचन्द जैन कॉमर्स कॉलेज के घंटी आधारित शिक्षक डॉ. मुरारी लाल बैध ने सरकार के अनुबंधकर्मियों के स्थायी करने के फैसले पर कही.
इसे भी पढ़ें :चांडिल : अगले बरस आने की कामना के साथ टुसू का किया गया विसर्जन
अनुबंध कर्मी दोबारा इस सरकार को सत्ता में नहीं देखना चाहेंगे – बैध
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा चुनावी घोषणा पत्र में कहा गया था कि वे जब सत्ता में आयेंगे तो सभी अनुबंध कर्मियों को स्थायी करेंगे. इस सरकार को सत्ता में आये लगभग 4 वर्ष हो गए इसलिए इस सरकार द्वारा अपने वादे को पूरा करने का यह अंतिम वर्ष है. यदि ये नहीं हो पायेगा तो झारखंड के सभी अनुबंकर्मी दोबारा इस सरकार को सत्ता में नहीं देखना चाहेंगे. उन्होंने कहा कि घंटी आधारित सहायक प्राध्यापक पिछले 5-6 वर्षों से अनुबंध के आधार पर अपनी सेवा देते आ रहें है. जबकि इनकी नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण रूप से नियमों के आधार पर हुई है. ऐसी स्थिति में हमलोगों की सेवा भी सरकार जल्द से जल्द स्थायी करें.
इसे भी पढ़ें :आदित्यपुर : यत्र-तत्र फेंका जा रहा कचरा, प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने निकायों को भेजा नोटिस
15 प्रतिशत जनता होगी लाभान्वित – बैध
डॉ. मुरारी लाल बैध ने कहा कि पिछले 5-6 वर्षों से झारखंड की उच्च शिक्षा को घंटी आधारित शिक्षक ही चला रहें है. साथ ही हम सभी घंटी आधारित शिक्षक वे सभी योग्यता रखते है जो जेपीएससी द्वारा स्थायी शिक्षकों के लिए अनिवार्य है. उड़ीसा सरकार और पंजाब सरकार ने भी अपने यहां कार्यरत अनुबंकर्मी को स्थायी करने का फैसला किया है. उसी तर्ज पर हेमन्त सरकार को भी जल्द इससे सम्बंधित नियम बनाने चाहिए. झारखंड सरकार के अनुबंकर्मी को स्थायी करने के फैसले से झारखंड की लगभग 15 प्रतिशत जनता प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होगी.
इसे भी पढ़ें :इच्छा शक्ति की कमी : झारखंड में शिक्षा को लेकर स्थिति चिंताजनक, मंत्री-अधिकारी स्तर पर भी प्रयास नाकाफी