Chaibasa : हमें धैर्य एवं उत्साहपूर्वक भक्ति करनी चाहिए. हमें उत्साही होना चाहिए, सुस्ती आपकी कोई सहायता नहीं करेगी. आपको बहुत उत्साही होना होगा. यदि आप उत्साही और धैर्यवान हैं और अब जब आपने भक्ति-मार्ग को अपना लिया है, तो सफलता निश्चित है. यह बातें श्री श्याम प्रचार मंडल चाईबासा के तत्वावधान में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत् कथा के चौथे दिन देवी चित्रलेखा ने सर्वप्रथम गजेन्द्र मोक्ष की कथा सुनाते हुए कहीं. उन्होंने कहा कि किसी भी योनि का जीव भगवान को प्राप्त कर सकता है. जिस तरह गजेन्द्र नामक हाथी तालाब में स्नान कर रहा था, तब ग्राह नामक हाथी ने उसका पांव पकड़ लिया और सभी से मदद मांगने के बाद भी किसी ने मदद नहीं की तब गजेन्द्र ने भगवान को खुद को समर्पित किया और भगवान ने गजेन्द्र की रक्षा की. इस प्रकार भगवान को प्राप्त करने के लिए जीव योनि का कोई महत्व नहीं है.
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उच्च योनि से लेकर निम्न योनि तक का कोई भी जीव भगवद् प्राप्ति कर सकता है. कथा में आगे देवी ने समुद्र मंथन के बारे में बताया कि समुद्र मंथन में एक तरफ देवता और एक तरफ राक्षस थे. वहां भगवान ने मोहिनी अवतार ग्रहण कर देवताओं को अमृत पान कराया. उन्होंने वामन अवतार की भी कथा सुनाई. भगवान वामन ने राजा बलि से संकल्प करा कर तीन पग भूमि दान में मांगी और इस तीन पग में भगवान वामन ने पृथ्वी आकाश और तीसरे पग में राजा बलि को मापा और बलि को सुतल लोक का राजा बना के खुद वहां के द्वारपाल बने.