Chaibasa (Sukesh Kumar): झारखंड पुनरुत्थान अभियान के प्रतिनिधिमंडल ने गुरूवार को उपायुक्त को पांच सूत्री मांग पत्र सौंपा है. इसके जरिए सेरेंगसिया शहीद स्मारक के पास पर्यटन विभाग द्वारा लिखित एतिहासिक विवरण में त्रुटियों की ओर ध्यान आकृष्ट कराया गया है. साथ ही गलत उल्लेख को सुधारने की मांग की गई है. झारखंड पुनरुत्थान अभियान के मुख्य संयोजक सन्नी सिंकु ने कहा कि पर्यटन विभाग की ओर से लिखित विवरण में 22 पीढ़ों का उल्लेख है. जबकि कोल्हान पर शोध करके डॉक्टर की उपाधि पाने वाले डॉ मुरलीधर साहू द्वारा समायोजित थिसिस ए सर्वे ऑफ द पॉलिटिकल एंड सोशल इकोनॉमिक हिस्ट्री ऑफ द कोल्हान फ्रॉम 1821 टू 1947 पर लिखित किताब कोल्हान अंडर द ब्रिटिश रूल्स के पृष्ठ संख्या 79 में उक्त घटनाक्रम का उल्लेख है.
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कोल्हान के इतिहास को बचाने की पहल
उसमें बताया गया है कि जब 1837 में ब्रिटिश हुकूमत ने कोल्हान को पूर्णरूपेण नियंत्रण करने की घोषणा की थी. जिसका विरोध पोटो हो ने किया था. उन्होंने कहा कि अंग्रेजों को जमीन जोत के बदले में मालगुजारी नहीं देंगें. इसके लिए उन्होंने तीन पीढ़ लालगढ़, आंवला और बढ़ पीढ़ और 22 मौजा के ग्रामीण पोटो हो के नेतृत्व को स्वीकार करते हुए अंग्रेजों की प्राधिकार का विरोध किया था. जिसके लिए पोटो हो और उनके सहयोगियों ने सेरेंगसिया घाटी को सबसे उपयुक्त स्थान के तौर पर चुना. जिस सेरेंगसिया के संकरा घाटी में अंग्रेजों के साथ लड़ाई हुई थी. वहां से अंग्रेजी सेना हारकर वापस भागने के लिए विवश हुई थी. उसी तरह से कई गांव का नाम गलत तरीके से उल्लेख किया गया है, जिसे सुधार करने की मांग की गई है. ताकि कोल्हान के गौरवपूर्ण इतिहास को बचाया जा सके.
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डॉ अशोक के अधीन रहकर किया था शोध
सन्नी सिंकु के अनुसार डॉ साहू ने डॉ अशोक कुमार सेन के अधीन रहकर अपने शोध कार्य को पूरा किया था. डॉ अशोक कुमार सेन चाईबासा निवासी और टाटा कॉलेज चाईबासा के इतिहास विभागाध्यक्ष रहे है. साथ ही विश्वविद्यालय आचार्य के रूप में भी उन्होंने सेवा प्रदान की थी. जो आदिवासियों पर लगातार शोध का कार्य जारी रखे हुए है. प्रतिनिधिमंडल में सन्नी सिंकु के अलावा, झारखंड पुनरुत्थान अभियान के शीतल पूर्ति, सरोज व अमृत मांझी शामिल थे.