Chaibasa (sukesh kumar) : रुंगटा ग्रुप ने भले ही सीएसआर के तहत करोड़ों रुपये का कई स्थानों पर जनहित के लिए भवन निर्माण किया और भवन में अपने ग्रुप का नाम लिखा हो, लेकिन हकीकत कुछ और है. जिस गांव के ग्रामीणों की खेती की जमीन पर चालियामा स्टील प्लांट लगाया है, वहां के ग्रामीणों की स्थिति बद से बदतर हो गई है. स्टील प्लांट लगाने से पूर्व चालियामा के ग्रामीणों के साथ रुंगटा ग्रुप ने समझौता किया था. इसके बाद स्टील प्लांट लगाया गया. अब समझौते के तहत गांव के लिए किसी तरह का काम नहीं कर रहा है. इसके कारण ग्रामीणों में काफी आक्रोश है. चालियामा गांव में ही 23 फरवरी 2005 को तत्कालीन मुंडा दशरती नायक (अब निधन हो चुका है) की अध्यक्षता में रुंगटा ग्रुप के प्रतिनिधि सूर्य भूषण लाल व जितेंद्र त्रिवेदी के साथ एक बैठक आयोजित की गई थी. बैठक में एक समझौता पत्र तैयार किया गया था. उसमें चालियामा गांव में बिजली, शुद्ध पेयजल, सड़क और शिक्षा की व्यवस्था के अलावा अन्य मुद्दों पर सर्वसम्मति से निर्णय लेकर समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया गया था. लेकिन इसमें से कई समझौते को अब तक पूरे नहीं किये गये हैं. गांव में पेयजल के लिए हर घर में नल लगा दिया गया है, लेकिन पानी की सप्लाई खरकाई नदी से की जाती है. पानी को फिल्टर नहीं किया जाता है. पानी पीने योग्य नहीं है. ग्रामीण पेयजल के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं. अपना निजी बोरिंग करा कर पीने को मजबूर हैं. सप्लाई पानी इतना गंदा आ रहा है कि मुंह तक नहीं धो पा रहे हैं. चालियामा गांव में पानी को लेकर त्राहिमाम मचा हुआ है. लेकिन रुंगटा ग्रुप मामले को गंभीरता से नहीं ले रहा है, जिसके कारण ग्रामीणों में भारी आक्रोश है.
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छोटे से डोभा में ग्रामीण नहाने को मजबूर
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चालियामा गांव में नहाने के लिए तालाब तक नहीं है. नदी के चारों और रुंगटा ग्रुप की ओर से घेराबंदी कर दी गई है. इसके कारण ग्रामीण नदी में नहाने नहीं जा पाते हैं. रुंगटा ग्रुप की ओर से नहाने के लिए गांव में दो स्थान पर सुविधा मुहैया कराई गई है, लेकिन वहां पानी नहीं आता है. नल भी टूटा हुआ है. ग्रामीण काफी परेशान हैं. ग्रामीणों का कहना है कि इतना दबाव है कि अपनी बात तक पदाधिकारी के समक्ष नहीं रख पाते हैं. जो भी बात उस पदाधिकारी तक रखते हैं उसे रूंगटा ग्रुप द्वारा नौकरी से हटा दिया जाता है.
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गांव में कुल परिवार 86 है, 700 से अधिक लोग करते निवास
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चालियामा गांव में कुल 86 परिवार हैं, जिसमें 700 से अधिक लोग रहते हैं. इसमें अधिकतर रुंगटा ग्रुप में मजदूरी करते हैं. सभी की खेती की जमीन रुंगटा ग्रुप ने ली है. अब इन ग्रामीणों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. गांव में न तो शिक्षा के लिए किसी तरह की सुविधा मुहैया कराई गई है और न ही पेयजल की व्यवस्था की गई है. जन सुनवाई के दौरान रुंगटा ग्रुप की ओर से शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने की बात कही जाती है, लेकिन कुछ दिनों के बाद रुंगटा ग्रुप भूल जाता है.
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गंदा पानी सप्लाई होता है
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गांव में पानी के लिए खराब स्थिति बनी हुई है. नल तो है लेकिन पानी की सप्लाई सही से नहीं हो रही है. जिसके कारण यहां त्राहिमाम मचा हुआ है. शुद्ध पेयजल नहीं मिल रहा है. गंदा पानी की सप्लाई हो रही है. पानी पीने योग्य भी नहीं है. रुंगटा ग्रुप से मांग है कि हमें शुद्ध पेयजल मुहैया कराया जाए.
राधिका देवी, ग्रामीण
पानी को फिल्टर नहीं किया जाता
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खरकाई नदी से पानी की सप्लाई होती है. फिल्टर करके पानी नहीं दिया जाता है. पानी पीने योग्य नहीं है. कई बार बोला गया कि पानी सही दिया जाए, लेकिन पानी नहीं दे रहा. गांव में नहाने की कोई सुविधा भी नहीं है. नदी था लेकिन रुंगटा ग्रुप ने उसे घेर दिया है. अब मजबूर होकर एक डोभा में लोग नहा रहे हैं. छोटे से एक डोभा में पूरे गांव के लोग नहाते हैं. इतने मजबूर हैं कि किसी का सहयोग भी नहीं मिलता है. जनप्रतिनिधि और ना ही जिला प्रशासन का.
सरिता कुंभकार, ग्रामीण, चालियमा
बिजली नहीं मिल रही है
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रुंगटा ग्रुप की ओर से बिजली की सुविधा देने तक भी समझौता हुआ था. लेकिन ना ही बिजली मिल रहा. ना ही शुद्ध पेयजल मिल रहा है. हम लोग का जमीन दिए हैं रुंगटा ग्रुप बनाने के लिए, लेकिन जमीन का मौल हमें नहीं मिला. जमीन के बदले नौकरी तो दिया गया है. लेकिन उतना पैसा नहीं देता जितना घर में गुजारा हो सके. शिक्षा की व्यवस्था की जाए.
सुनीता देवी, ग्रामीण, चालियामा