Chakulia : बांस है तो घास मगर यह किसानों की सांस है. बांस के उत्पादन में चाकुलिया वन क्षेत्र झारखंड में एक अहम स्थान रखता है. यहां उत्पादित बांस देश के विभिन्न राज्यों में भेजा जाता है. इस क्षेत्र में धान के बाद बांस की खेती किसानों के लिए महत्वपूर्ण खेती है. इस वन क्षेत्र में चाकुलिया, बहरागोड़ा, धालभूमगढ़ प्रखंड और घाटशिला प्रखंड के कुछ अंश शामिल हैं. बरसात के मौसम में बांस के झाड़ से राइजोम निकलते हैं.
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इस वर्ष नियमित रूप से वर्षा हो रही है और यह बांस की खेती करने वाले किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. बांस के झाड़ से राइजोम निकलना शुरू हो गया है. किसानों को उम्मीद है कि इस वर्ष भारी संख्या में बांस के राइजोम निकलेंगे और उन्हें बेहतर आमदनी होगी. झाड़ में उगे बांस के राइजोम टूटे ना, इसलिए किसान इस अवधि में बांस की कटाई बंद कर देते हैं. जब राइजोम बड़े हो जाते हैं.तब किसान बांस की कटाई करते हैं. इस वन क्षेत्र में वन भूमि पर बांस नहीं के बराबर हैं. किसानों ने अपनी रैयती भूमि पर बड़े पैमाने पर बांस की खेती की है. बांस किसानों की आर्थिक आमदनी का एक प्रमुख स्रोत है.
जंगली हाथियों से राइजोम को है खतरा
बांस का राइजोम जंगली हाथियों का एक प्रमुख भोजन है. हाथी इसे बड़े चाव से खाते हैं. इस क्षेत्र में पिछले तीन साल से जंगली हाथियों ने उत्पात मचा रखा है. जंगली हाथी बांस के राइजोम को पैरों से तोड़कर और खाकर नष्ट कर देते हैं. इससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. बांस का उत्पादन काफी कम हो जाता है. एक राइजोम नष्ट होने का मतलब है किसान को 50 से 100 रूपये तक का नुकसान जंगली हाथी बांस के किसानों के लिए परेशानी का सबब हैं. वन विभाग हाथियों को भगाने में अब तक विफल साबित हुआ है और करीब 40 जंगली हाथी क्षेत्र में उपद्रव मचा रहे हैं. क्षेत्र के किसानों का कहना है कि हाथियों को नहीं भगाया गया तो भारी नुकसान उठाना पड़ेगा.
ट्रांजिट रूल से मुक्त है बांस
केंद्र सरकार ने बांस के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विगत दो साल पूर्व बांस को घास मानते हुए इसे ट्रांजिट रूल से मुक्त कर दिया. यह किसानों और व्यापारियों के लिए वरदान साबित हुआ और बांस की खेती को प्रोत्साहन मिला. इसके कारण किसान भी अब बांस की बिक्री कहीं भी करने में सक्षम हो गए. वहीं, इससे जुड़े व्यवसायियों को भी व्यवसाय करने में सहूलियत हुई.
झारखंड में कागज फैक्ट्री नहीं होने से बाहरी राज्यों में भेजना पड़ता है बांस
चाकुलिया में बड़े पैमाने पर बांस की खेती होती है, लेकिन इससे बनने वाले उत्पाद कागज की फैक्ट्री झारखंड में नहीं होने के कारण बांस के किसानों को बाजार के लिए बाहरी राज्यों का मुंह देखना पड़ता है. यहां उत्पादित बांस ओड़िसा, हरियाणा, पंजाब सहित देश के कई राज्यों की कागज फैक्ट्री तक पहुंचता है. भाजपा की पिछली सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बहरागोड़ा में कागज फैक्ट्री की स्थापना किए जाने की बात कही थी, लेकिन इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका.