Ghatshila: झारखंड सरकार द्वारा खाद्यान्न व कृषि उपज पर बाजार समिति कर लगाने के फैसले से झारखंड के पूरा खाद्यान्न व्यवसाय चौपट हो जाएगा. इसका फायदा पड़ोसी राज्य ओडिशा, प. बंगाल, बिहार व छत्तीसगढ़ को होगा. उक्त बातें शुक्रवार को कोल्हान मिलर एसोसिएशन के अध्यक्ष विनोद सेकसरिया ने आज एसोसिएशन की एक आवश्यक बैठक में कही.
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केंद्र सरकार के एक देश-एक कर के उद्देश्य का मखौल
बैठक में कहा गया कि 2015 में अनुपयोगी व अनावश्यक मानते हुए जिस व्यवस्था को भंग किया गया था. पुनः 2022 में उसे वर्तमान सरकार द्वारा लागू करने के संबंध में विधेयक विधानसभा में पारित किया गया है. केंद्र सरकार के एक देश-एक कर के उद्देश्य का मखौल उड़ाते हुए झारखंड राज्य सरकार अतिरिक्त कर लगाना चाहती है. केंद्र सरकार द्वारा 2017 में जीएसटी लागू किया गया, जिसके अंतर्गत खाद्य सामग्री को आवश्यक श्रेणी में रखते हुए कर से मुक्त रखा गया था.
बाजार समिति कर से घूसखोरी और भ्रष्टाचार चरम पर होगा
मिलर एसोसिएशन ने कहा कि यदि बाजार समिति व्यवस्था के तहत अतिरिक्त कर लगाया जाता है तो सर्वप्रथम महंगाई बढ़ेगी इसके अलावा अफसरशाही, घूसखोरी और भ्रष्टाचार अपने चरम पर होगा. व्यापारियों पर जमाखोरी व कालाबाजारी के अवांछित आरोप लगेंगे. ऐसा किसी भी प्रकार का कर झारखंड के किसी भी पड़ोसी राज्य में लागू नहीं है. यदि ऐसी कोई भी व्यवस्था सरकार द्वारा लागू की जाती है तो झारखंड के आमजन एवं कृषि संबंधित उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. बैठक में सचिव राजीव खिरवाल, विनीत रूंगटा, दीपक झुनझुनवाला, बासु रूंगटा, सुभाष लोधा, महेश रूंगटा, जामिनी मंडल, भरत रूंगटा, कैलाश रूंगटा, किशन खिरवाल, मनीष रूंगटा समेत अन्य उपस्थित थे.
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