जेसिया ने कहा- एमएसएमई सरकार मैन्यूफैक्चरिंग और थोक व्यापार को मिला रही
चेंबर ने कहा- थोक और खुदरा व्यापारियों को भी मिलेगी बैंकिंग सुविधाएं
थोक व्यापारियों ने कहा- प्रक्रियाएं इतनी जटिल होती है कि धरातल में कुछ संभव नहीं
Ranchi : थोक और खुदरा व्यापार को भी अब एमएसएमई ( लघु, कुटीर एवं मध्यम उद्योग ) में शामिल कर लिया गया है. पिछले दिनों केंद्रीय एमएसएमई मंत्री नीतिन गडकरी ने इसकी घोषणा की. इसके साथ ही थोक और खुदरा व्यापार को भी प्राथमिकता के आधार पर कर्ज मिलने की बात की गयी. व्यापारियों की इस पर अलग-अलग राय है. प्रमुख व्यापारी संगठन चेंबर ऑफ कॉमर्स, थोक संघों और जेसिया के मत भी बिलकुल अलग है. एक ओर जहां फेडरेशन ऑफ चेंबर इस पहल को सराहनीय बता रहा है. वहीं थोक संघों का कहना है कि ऐसी घोषणाएं धरातल पर नहीं उतर पाती. जबकि जेसिया का कहना है कि सरकार चीजों को मिला रही है. क्योंकि मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर पूरी तरह अलग है. केंद्रीय मंत्रालय के इस निर्देश के बाद, थोक और खुदरा व्यापारियों को भी बैंकिंग सुविधाएं मिलने में आसानी होगी. लेकिन इसके लिये प्राथमिकता पर जोर दिया जायेगा.
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चेंबर और जेसिया की राय अलग
चेंबर अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबड़ा ने कहा कि केंद्र सरकार का ये सराहनीय पहल है. पिछले चार साल से अलग अलग व्यापारी समूहों की ओर से मांग की जा रही थी. इससे थोक और खुदरा व्यापारियों को भी अब बैंकिंग सुविधाएं आसानी से मिलेगी. एमएसएमई का दर्जा मिलने से इन्हें लाभ मिलेगा.
वहीं जेसिया अध्यक्ष फिलिप मैथ्यू ने कहा कि जेसिया इस फैसले से सहमत नहीं है. असहमति इस बात की नहीं है कि थोक और खुदरा व्यापरियों को लाभ मिलेगी. असहमति इस बात से है कि सरकार मैन्यूफैक्चरिंग और थोक व्यापार को मिला रही है. जबकि दोनों के लिये अलग अलग मंत्रालय है. मैन्यूफैक्चरिंग एक विशेषज्ञ क्षेत्र है. जिसके लिये एमएसएमई और उद्योग विभाग है. वहीं थोक व्यापार के लिये वाणिज्य कर विभाग है. ऐसे में अगर सरकार को इन्हें लाभ देना है तो अलग व्यवस्था का विकल्प है.
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धरातल में नहीं दिखती घोषणाएं
झारखंड थोक वस्त्र विक्रेता संघ के अनिल जालान ने कहा कि सरकार का प्रयास सराहनीय है. लेकिन धरातल में ये घोषणाएं दिखती नहीं है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि थोक और खुदरा व्यापारियों को कर्ज मिलने में आसानी होगी. जबकि बैंक जाने से जानकारी होती है कि प्रक्रियाएं कितनी जटिल है. इन प्रकियाओं में इतने नियम कानून होते है कि व्यापारियों की परेशानी बढ़ती है. ऐसे में सरकार को इस निर्णय की समीक्षा करनी चाहिये. वहीं दीपक कुमार मारू ने कहा कि थोक और खुदरा व्यापार के लिये वाणिज्य विभाग है. जबकि एमएसएमई जिनका मैन्यूफैक्चरिंग में योगदान है, उनके लिये अलग विभाग है. पहले भी एमएसएमई में सर्विस सेक्टरों को जोड़ा गया है. अब फिर से थोक और खुदरा व्यापार को जोड़ा जा रहा है. जिससे चीजें जटिल होंगी. सरकार को इस निर्णय की भी समीक्षा करनी चाहिये.
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