Chandil (Dilip Kumar) : सुवर्णरेखा परियोजना चांडिल बांध के विस्थापितों के लिए बनाए गए पुनर्वास स्थलों में जमीन को लेकर विवाद अब आम बात हो गई है. पुनर्वास स्थलों का सीमांकन नहीं किए जाने के कारण अमूमन ऐसी स्थिति उत्पन्न हो रही है. पुनर्वास स्थलों की जमीन की सीमा रेखा नहीं रहने के कारण कई स्थानों में विस्थापितों के लिए चिन्हित जमीन पर कब्जा किया गया है तो कई स्थानों पर रैयती जमीन को भी लोग पुनर्वास की जमीन मानकर चल रहे हैं. ऐसे में विवाद होना लाजिमी है. जिन पुनर्वास स्थलों मेें विस्थापित अधिक संख्या में बसे है उनमें आए दिन विवाद हो रहा है.
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चिलगु में कई बार हो चुका जमीन संबंधी विवाद
चांडिल प्रखंड के चिलगु पुनर्वास स्थल से सटे क्षेत्र में कई बार जमीन संबंधित विवाद हो चुका है. कई बार विस्थापितों ने पुनर्वास की जमीन पर कब्जा करने और अवैध रूप से बेचे जाने को लेकर हंगामा खड़ा किया है. इसी के साथ कई बार रैयती जमीन मालिक भी इस विवाद में पीस जाते हैं. दरअसल, 12 जुलाई को चिलगु पुनर्वास स्थल पर जमीन घेराबंदी करने को लेकर विवाद हो गया था. विस्थापितों ने जमीन की घेराबंदी कर रहे लोगों को घेराबंदी करने से रोका. मामले की सूचना पर चांडिल थाना की पुलिस भी मौके पर पहुंची थी. अब इस मामले में नया मोड़ आ गया है. आदिवासी उक्त जमीन को तीन आदिवासियों के नाम बंदोबस्ती किया गया जमीन बता रहे हैं. इस मामले को लेकर आदिवासी समाज के प्रबुद्ध लोग शनिवार को अनुमंडल पदाधिकारी से मिलकर ज्ञापन सौंपने वाले हैं.
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जमीन मालिकों ने कहा दबंगई कर रहे भू-माफिया
घेराबंदी रोकने के मामले को लेकर चिलगु के आदिवासियों की शुक्रवार को करण हांसदा की अध्यक्षता में बैठक हुई. बैठक में चिलगु पुनर्वास स्थल के कुछ भू-माफिया द्वारा आदिवासी किसानों को उनकी जमीन पर खेती करने और उसकी घेराबंदी करने से जबरन रोके जाने पर तीव्र आक्रोश व्यक्त किया गया. मौके पर कहा गया कि चिलगु मौजा के खाता नंबर 130 प्लॉट नंबर 578 में कुल 247 डीसमील जमीन तीन लोगों के नाम बंदोबस्ती किया गया है. इनमें सुनाराम माझी के नाम 81 डी, रामचांद माझी के नाम 81 डी और लखीराम माझी के नाम 85 डीसमील जमीन का बंदोबस्ती किया गया है, जिसका वे लगान भी जमा करवा रहे हैं.