– वक्ताओं ने कहा- समान नागरिकता संहिता से खत्म हो जाएंगे रीति-रिवाज
Chandil (Dilip Kumar) : विश्व आदिवासी दिवस पर आयोजित विचार गोष्ठी में बुधवार को प्रबुद्ध वक्ताओं ने यूसीसी एवं वनाधिकार कानून पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि समान नागरिक संहित से रीति रिवाज खत्म हो जाएंगे. यह विचार गोष्ठी नीमडीह प्रखंड के रघुनाथपुर स्थित प्रखंड कार्यालय परिसर के फुटबॉल मैदान में संयुक्त आदिवासी सामाजिक संगठन के तत्वावधान में आयोजित की गयी. विचारगोष्ठी में मणिपुर की घटना पर भी काफी आक्रोश दिखा.
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समाज से अशिक्षा-अंधविश्वास को हटाने पर जोर
विचार गोष्ठी में मणिपुर और मध्य प्रदेश की घटना को लेकर निंदा प्रस्ताव पारित किया गया. वक्ताओं ने कहा कि देश में आदिवासियों के लिए संविधान में कई अधिकार व कानून बनाये गये हैं. देश में समान नागरिकता संहिता कानून देश लागू होने से आदिवासियों की पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था, सीएनटी ऐक्ट, एसपीटी ऐक्ट, भाषा,संस्कृति, रीति-रिवाज समाप्त हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि देश भर के आदिवासी समुदाय आज भी पिछड़े हैं. विश्व के आदिवासी एक हैं. सभी ने एक स्वर में कहा कि आदिवासी समाज से अशिक्षा. कुरीति, अंधविश्वास को हटाना होगा. तभी आदिवासी समाज आगे बढ़ पाएगा. आदिवासी को अपने रिवाज, परंपरा, संस्कृति, भाषा को संरक्षण करने की आवश्यकता है. विचार व्यक्त करनेवालों में संयुक्त आदिवासी सामाजिक संगठन के प्रवक्ता मानिक सिंह, सरदार सुधीर किस्कू, श्याम अल्माटी आदि मुख्य रूप से शामिल थे.
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निकाली बाइक रैली, वीर शहीदों को श्रद्धांजलि
इससे पहले आदिवासी समाज के लोगों ने वीर शहीद स्वतंत्रता सेनानी सिद्धो-कान्हू, चांद-भैरव, तिलका मांझी, रघुनाथ महतो, तेलंगा खड़िया, गंगानारायण सिंह की तस्वीर पर फूल चढ़ा कर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी. संथाल, मुंडा, उरांव, हो, बिरहोर, खड़िया, लोहरा आदि विभिन्न आदिवासी समुदाय के लोग अपने-अपने पारंपरिक परिधान पहनकर विचारगोष्ठी में पहुंचे. वहीं गोरडीह पंचायत से पारंपरिक ग्राम सभा के आदिवासी मुंडा समुदाय के लोगों ने पारंपरिक परिधान पहनाकर बाइक रैली के रूप में रघुनाथपुर फुटबाल मैदान में आयोजित विश्व आदिवासी दिवस पर पहुंचे. विचारगोष्ठी में आदिवासी समाज की पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था, पांचवीं अनुसूची, विभिन्न आदिवासी समुदाय के आदिवासी संगठन व लोगों के सामाजिक उत्थान पर विचार व्यक्त किये गये.