Chandil (Dilip Kumar) : समय पर मानसून की बारिश प्रर्याप्त नहीं होने के कारण सरायकेला-खरसावां जिले में धान की रोपनी कछुआ गति से चल रहा है. जिले में एक लाख हेक्टेयर भू-भाग पर धान की खेती की जाती है. जिला क्षेत्र के किसान रोपा और छिंटा दोनों विधि से धान की खेती करते हैं. पानी के अभाव में किसान धान की खेती करने में इस वर्ष भी काफी पीछे चल रहे हैं. जिले में अबतक रोपा विधि से मात्र 11 प्रतिशत ही खेती हो पाई है. जिला क्षेत्र में अबतक मात्र 5060 हेक्टेयर भू-भाग पर रोपा विधि से धान की खेती की गई है. वहीं छिंटा विधि से सरायकेला-खरसावां जिले में अबतक 70 प्रतिशम धान की खेती हो चुकी है. जिले में 27 हजार हेक्टेयर भू-भाग में छिंटा विधि से धान की खेती करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें अबतक 19170 हेक्टेयर भू-भाग पर धान की खेती की जा चुकी है.
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पिछले दस सालों में चार साल ही सामान्य से अधिक बारिश
सरायकेला-खरसावां जिले में अगस्त माह का सामन्य बारिश 319.2 मिमी है. वहीं इस माह जिले में अबतक 110.1 मिमी बारिश हुई है. वैसे इस माह का अब शुरूअता ही हुआ है. पूरा माह अगर ऐसा ही स्थिति रहा तो जिले में सामान्य से अधिक बारिश होगी. सरायकेला-खरसावां जिले में पिछले दस सालों में चार साल ही अगस्त माह में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई है. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2004 में 405.1, वर्ष 2007 में 354.1, वर्ष 2011 में 442.8 और वर्ष 2016 में 475.1 मिमी बारिश दर्ज की गई है. इसके अलावा अन्य वर्षो में सामान्य बारिश 319.2 मिमी से कम ही वर्षा हुई है.
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