Santosh Manav
बात वर्ष 2002-2003 की है. एक नेताजी थे. झक सफेद सफारी शूट पहनने वाले. काले बदन पर सफेद कपड़ा. नागपुर के बगलगीर कस्बा कामठी से हर दूसरे-तीसरे दिन लोकमत कार्यालय आते. गलियारे की पहली हाफ केबिन में बैठने वाले लोकमत समाचार के सीनियर के पैर छूते. बिराजते. थोड़ी देर बाद जेब से एक प्रेस नोट निकालते और उन सीनियर के सामने याचना की मुद्रा में रख देते. अमूनन हर प्रेस नोट छप जाती. हम लोग आपस में कहते थे- चंदू की प्रेसनोट. हालांकि अपनी बात नहीं होती थी.
अपन वर्ष 2004 में नागपुर से भोपाली हो गए और चंदू को भूल गए. साल 2013, माह सितंबर होगा कदाचित. नागपुर में बीजेपी के पूर्व प्रेसीडेंट नीतिन गडकरी का घर. नागपुर गया था, तो सोचा, मिल लें. हम दो ही थे. मैंने नरेंद्र मोदी की बात छेड़ी. कहा, सब जगह चर्चा नरेंद्र मोदी की है. जमशेदपुर से नागपुर. पूरी ट्रेन में मोदी की ही बात हो रही थी. नीतिन गडकरी बोले, हां जनता बदलाव चाहती है. मैंने नोट किया, नरेंद्र मोदी की चर्चा उन्हें नहीं भाई. तभी दो सज्जन आए. एक ने नीतिन जी के पैर छुए. दूसरे सज्जन, शायद कोई मेश्रामजी थे. उन्होंने अपनी पुत्री के विवाह का कार्ड दिया. कहा विवाह बेंगलुरू में है. नीतिन गडकरी ने घंटी बजाई. जो सज्जन आए, उनसे मराठी में कहा-ध्यान रखना. इस शादी में मुझे शामिल होना ही है. दोनों बैठ चुके थे. नीतिन जी ने अब दूसरे सज्जन से मेरी ओर इशारा करते हुए मराठी में ही कहा-इन्हें पहचान रहे हो? संतोष है. यहीं लोकमत समाचार में था न? और भी कुछ. उन सज्जन ने सिर हिलाया. मानो कुछ-कुछ याद हो या याद करने की कोशिश कर रहे हों. मेरी बात हो गई थी. मैं निकल आया. वे दोनों वहीं थे. बाहर आया. सोचा. कौन था वह? अरे! वह तो चंदू था-चंद्रशेखर बावनकुले.
दस साल में चंदू का कायाकल्प हो गया था. ड्राइवर ने बताया- वह बड़ा नेता, हो गया है. अरे ! वाह चंदू. वर्ष 1992-93 में शिवाजी के नाम पर संगठन बनाया. इंकलाब-जिंदाबाद करते-करते, नाली-नाला की बात करते-करते नीतिन गडकरी के संपर्क में आए. BJP में शामिल हुए. जिला परिषद के मेंबर बने. नीतिन गडकरी की कृपा आने लगी. टिकट पा गए. वर्ष 2004, 2009, 2014 में विधायक-मंत्री हो गए. मंत्री हो गए तो दाएं-बाएं करने लगे. आरोप लगे. वर्ष 2019 में नीतिन जी की कृपा के बावजूद अमित शाह ने वीटो लगाकर टिकट काट दी. तब सुना कि अडानी पर ही अड़ी ….. जाने दीजिए.
अब चंदू यानी चंद्रशेखर बावनकुले महाराष्ट्र प्रदेश BJP के महासचिव हैं. झारखंड में JMM-Congress की सरकार गिराने के कथित खेल के अगुआ हैं. झारखंड के विधायकों को पटा रहे हैं. झारखंड के अखबारों में चंदू के बड़े-बड़े फोटो छप रहे हैं कि यही है मास्टर माइंड. विश्वास नहीं हो रहा कि चंदू इतना बड़ा खेल कर सकता है! झारखंड के बड़े पत्रकार से पूछा, संदेह जताया. लेकिन, उन्होंने जो कहा, वह यह है- अब तक के तथ्य यही कह रहे हैं. हो सकता है कि ऑपरेट कोई और कर रहा हो, लेकिन फ्रंट पर यही है. अपन सुबह से सोच रहे हैं-चंदू इतना बड़ा हो गया? न ऐसा कैसे ? मन ही कह रहा- हो सकता है, आखिर सत्ता के खेल में प्यादे को राजा बनते कितना समय लगता है ?
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं.
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