Ranchi: मेयर आशा लकड़ा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंिने कहा कि मुख्यमंत्री ने यह बयान दिया है कि कोरोना के कारण राज्य में दुष्कर्म से संबंधित मामलों में वृद्धि हुई है। राज्य की महिलाओं के प्रति उनकी सोच अच्छी नहीं है। वे राज्य के मुखिया है। महिलाओं की सुरक्षा, मां-बेटी की इज्जत व सम्मान करना उनका नैतिक कर्तव्य है। वहशी दरिंदे खुलेआम मां-बहनों की इज्ज़त को तार-तार कर रहे हैं। फिर भी राज्य सरकार अपनी सुरक्षा व्यवस्था की खामियों को स्वीकार करने में शर्म महसूस कर रहा है।
जिस राज्य में पुलिस पदाधिकारी महिलाओं को तमाचा मार रहे हैं, उनसे सुरक्षा की उम्मीद कैसे की जा सकती हैं। राज्य के डीजीपी भी यह बयान दे रहे हैं कि सुनसान स्थलों पर महिलाएं न जाएं। सुनसान स्थलों पर किसी महिला या युवती के साथ कोई अप्रिय घटना घटित होगी तो उसके लिए पुलिस जिम्मेदार नहीं होगा।
उन्होंने कहा मैं डीजीपी सर से कहना चाहुंगी कि पुलिस की ड्यूटी सिर्फ भीड़-भाड़ वाले क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है। सुनसान स्थलों पर भी पुलिस की ही निगरानी होती है। जिस राज्य में अपराधी बेखौफ होकर घूम रहे हों और राज्य के मुखिया चैन की नींद सो रहे हों, उनसे सुरक्षा की उम्मीद कैसे लगायी जा सकती है।
राज्य सरकार की शासन प्रणाली निरंकुश
देश के प्रधानमंत्री बेटियों को आगे बढ़ने की राह दिखा रहे हैं। बेटियों का हौसला बढ़ा रहे हैं। लेकिन राज्य की निरंकुश शासन प्रणाली झारखंड की बेटियों को मानसिक तौर पर कमजोर कर रही है। हेमंत सरकार के कार्यकाल में महिलाओं और युवतियों के उत्पीड़न व दुष्कर्म से संबंधित 1200 से अधिक मामले दर्ज हो चुके हैं। फिर भी राज्य सरकार कुछ मामलों में ही अपराधियों की गिरफ्तारी कर वाहवाही बटोर ने कोशिश कर रही है।
जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रहे हैं सीएम
मुझे लगता है कि मुख्यमंत्री अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रहे हैं। वे राज्य के गृह मंत्री भी है। फिर भी पुलिस प्रशासन पर उनका लगाम नहीं है। मुख्यमंत्री जी अपने राज्य की मां, बहन व बेटियों की इज्जत करना सीखिए। मां, बहन, बहू और बेटियां इस राज्य की मात्र-सम्मान हैं। इनकी इज्जत-आबरू की रक्षा कीजिए।पुलिस-प्रशासन को उनकी नैतिक जिम्मेदारियों का बोध कराइए।कहीं ऐसा न हो कि आपके कार्यकाल का यह बदनुमा दाग कभी धुल न पाए।