Ranchi: झारखंड सीआईडी के एडीजी अनिल पालटा केंद्र में एडीजी रैंक में इम्पैनल गए है. गृह मंत्रालय ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दिया है. अनिल पालटा 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी है. फेम इंडिया मैगजीन-एशिया पोस्ट सर्वे के 12 मापदंडों पर किए गए 25 उत्कृष्ट आईपीएस 2020 के वार्षिक सर्वे में एडीजी अनिल पालटा प्रतिभावान श्रेणी में प्रमुख स्थान पर हैं.
साल 1990 में आईपीएस सेवा के लिये चयन हुआ था
साल 1990 में अनिल पालटा का चयन आईपीएस सेवा के लिये हुआ और बिहार कैडर मिला था. अनिल पालटा की शुरुआती पोस्टिंग बतौर एएसपी मोतिहारी हुई. फिर इसी पद पर दानापुर, बेरमो और मुजफ्फरपुर सिटी में तैनात रहे. बतौर एसपी उन्हें गोपालगंज, औरंगाबाद, जमशेदपुर, गया, और धनबाद में रहने का अवसर मिला. जब बिहार का विभाजन हुआ तो झारखंड में ही पले-बढ़े अनिल पालटा को झारखंड कैडर सौंपा गया.
वीरता पदक और सराहनीय सेवा पदक से सम्मानित किए गए थे अनिल पालटा
झारखंड सरकार ने साल 2001 में वीरता पदक और सराहनीय सेवा पदक से सम्मानित किया था. साल 2007 में उन्हें सराहनीय सेवा के लिये भारतीय पुलिस पदक भी सौंपा गया था. वर्ष 2007 में जब देश भर में आर्थिक, खासकर बैंकिंग सेक्टर के अपराध बढ़ने लगे तो उन्हें सीबीआई ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर बुला लिया गया था. इस दौरान उन्होंने न सिर्फ आर्थिक बल्कि अन्य राज्यों में हुए कई मामलों को हल किया.
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उन्हें नौ साल से उलझे बहुचर्चित इशरत जहां एनकाउंटर मामले को सुलझाने वाले ऑफिसर के तौर पर भी जाना जाता है. उन्हें कोलकाता में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो का डीआईजी भी बनने का अवसर मिला. साल 2014 में उनके उत्कृष्ट कार्यों लिये उन्हें प्रतिष्ठित राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.
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साल 2014 में ही उन्होंने राष्ट्रीय डिफेंस कॉलेज में विशेष प्रशिक्षण के लिये दाखिला लिया. साल 2016 की शुरुआत में जब अनिल पालटा वापस झारखंड लौटे तो उनकी दक्षता का सदुपयोग करने के लिये प्रदेश सरकार ने ‘एडीजी ऑपरेशंस’ नामक एक विशेष पद बनाया. उन्हें प्रोन्नति देते हुए एडीजी बनाया गया और नक्सलवाद के खिलाफ अभियानों की जिम्मेदारी सौंपी गयी.
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