Ranchi: साहिबगंज में चाइल्ड ट्रैफिकिंग से जुड़े एक मामले में सीआईडी के महानिदेशक अनुराग गुप्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि गुमशुदा बच्चों का बायोमेट्रिक्स यानी, फिंगरप्रिंट्स, रेटिना उपलब्ध कराना संभव नहीं है. यह काफी जटिल प्रक्रिया है. जिस समय दोनों बच्चे गायब हुए थे उस समय उनकी उम्र काफी कम थी. ऐसे में आधार कार्ड के बायोमेट्रिक्स के आधार पर उनकी तलाश करना मुश्किल है. महानिदेशक गुरुवार को हाईकोर्ट में हाजिर हुए थे. साहिबगंज से गुमशुदा दो बच्चों का सुराग नहीं मिलने के मामले में हाईकोर्ट ने उन्हें हाजिर होने का निर्देश दिया था. सुनवाई के दौरान मामले के अनुसंधान अधिकारी भी कोर्ट में मौजूद थे. उन्होंने बताया कि दोनों बच्चों की तलाश जारी है. इसके बाद अदालत ने अगली सुनवाई 12 जून को निर्धारित की.
दरअसल, कुलदेव साह और वीरेन साह के खिलाफ एम हेंब्रम ने साहिबगंज कोर्ट में अपने बेटे की चाइल्ड ट्रैफिकिंग करने को लेकर शिकायतवाद दर्ज करायी है. उनका बच्चा वर्ष 2018 से लापता है.वहीं बोरियो थाना में कुलदेव साह एवं पप्पू साह के खिलाफ वर्ष 2022 में एक और प्राथमिकी दर्ज है. इसमें बीरेन्द्र हंसदा ने अपने छोटे भाई की वर्ष 2014 में लापता होने को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराई थी. प्राथमिकी में दोनों को आरोपी बनाया गया है.आरोपियों ने हाईकोर्ट में जमानत के लिए याचिका दायर की थी. इसी दौरान अदालत दोनों बच्चों की बरामदगी नहीं होने पर सुनवाई कर रहा है. दोनों आरोपियों की जमानत हाईकोर्ट ने रद्द कर दी है.