NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि भारत की सरकार मेडिकल सेक्टर पर तत्काल ध्यान नहीं दे रही है. कहा कि किसी और की विफलता की सजा अंतत: चिकित्सा कर्मियों को भुगतनी पड़ती है. गुरुवार को वर्ल्ड डॉक्टर डे के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में सीजेआई बोल रहे थे.
इस क्रम में उन्होंने कहा कि चिकित्सा संस्थानों और सरकार की संबंधित एजेंसियों को अपने प्रमुखों को आगे लाना चाहिए और इस विषय पर खुलकर बात करनी चाहिए. तभी हम अपने डॉक्टरों को खुश कर सकते हैं.
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ड्यूटी करते समय हमारे डॉक्टरों पर हमले होते हैं
जस्टिस रमना ने कहा, बहुत दुख की बात है कि ड्यूटी करते समय हमारे डॉक्टरों पर हमले होते हैं. डॉक्टर किसी और की विफलता की सज़ा भुगत रहे हैं. डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की कमी का मुद्दा उठाते हुए सीजेआई ने कहा, सरकार इस सेक्टर को प्राथमिकता नहीं दे रही है. यहां तक कि फैमिली डॉक्टर का कॉन्सेप्ट भी धीरे-धीरे ख़त्म हो रहा है. कहा कि कॉर्पोरेट और निवेशक जो फायदा उठाते हैं उसके लिए डॉक्टरों को क्यों दोष दिया जाता है?
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चुनाव किसी को उत्पीड़न से मुक्ति नहीं दिला सकते
जान लें कि एक दिन पहले ही सीजेआई ने कहा था कि चुनाव किसी को उत्पीड़न से मुक्ति नहीं दिला सकते. उन्होंने न्यायपालिका में सरकारी दखल को लेकर भी चिंता व्यक्त की थी. कहा था, चुनाव तो 1947 के बाद से हो रहे हैं, लेकिन सरकार बदलना इस बात की पुष्टि नहीं करता कि आपको उत्पीड़न से मुक्ति मिल जायेगी.
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सबका आत्मसम्मान बना रहना लोकतंत्र में जरूरी है
उन्होंने कहा था कि सबका आत्मसम्मान बना रहना लोकतंत्र में सबसे जरूरी है. जस्टिस रमना ने सोशल मीडिया का जजों पर प्रभाव को लेकर भी बात की और कहा कि बाहरी प्रभाव से न्यायिक सिस्टम को बचना चाहिए. जो बातें सोशल मीडिया पर जोर-शोर से उठाई जाती हैं, जरूरी नहीं हैं कि वह सच या सही हो. इसलिए अदालत को बाहरी दबावों से मुक्त होना चाहिए.
कोरोना को लेकर भी उन्होंने चिंता जताते हुए कहा था कि यह संकट कई दशकों तक का असर छोड़ सकता है. ऐसे में हमें एक मिनट रुककर यही सोचना चाहिए कि हमने किसी के लिए क्या किया। हमें आगे भी लोगों की मदद का प्रयास करना चाहिए.