Ranchi : फादर स्टेन स्वामी की याद में रांची आर्चडायसिस द्वारा गुरुवार को स्मृति सभा कार्यक्रम आयोजित की. स्मृति सभा का आयोजन नामकुम के बागीचा में सेंट्रल जोन प्रोविंश और बागीचा संस्था के संयुक्त तत्वावधान में किया गया. कार्यक्रम में मुख्य रूप से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उपस्थित थे. सीएम ने फादर स्टेन को लेकर अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि फादर स्टेन ने झारखंड राज्य में काफी लंबा योगदान दिया है. उन्होंने नदी, पहाड़, जगंल के बीच जीवन गुजारा था. ऐसे इंसान के लिए जेल में रहना या बाहर रहना कोई बहुत अचरज की बात नहीं होगी, पर जिस तरीके से वर्तमान व्यवस्था ने उन पर अत्याचार किया, उसका परिणाम और इसका जवाब देश और समाज के बीच से उठकर आएगा. हम उनके संघर्ष को आगे बढ़ाएंगे. सीएम ने उम्मीद जतायी कि अगर कहीं धुंआ निकला है तो आग भी जरूर होगी. इसलिये जरूरी है कि हम इसके विचारों को मरने न दें. इसके सोच को आगे बढ़ाएं ताकि दुनिया में फादर स्टेन जैसे लोगों के विरुद्ध चल रहे कुचक्र को समझ पाये.
झारखंड शहादत देने में पीछे नहीं रहा
इससे पूर्व उन्होंने कहा कि झारखण्ड शहादत देने में पीछे नहीं रहा है. भगवान बिरसा मुंडा से लेकर फादर स्टेन स्वामी तक के जीवन को राज्यवासियों ने देखा है. आनेवाली पीढ़ी को भी यह जानना चाहिए. उन्होंने कहा कि दलित, वंचित और आदिवासी का समाज में विकास की रफ्तार कम है. इसे बढ़ाने की जरूरत है. मैं अकेले यह कार्य नहीं कर सकता. इसके लिए सभी को व्यक्तिगत प्रयास करना होगा. सरकार इनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए प्राथमिकता दे रही है.
बिशप मसकरेंनहस ने रखे तीन प्रस्ताव
स्मृति सभा में बिशप थेयोदोर मसकरेंनहस ने फादर स्टेन के योगदान का स्मरण करते हुए मुख्यमंत्री के सामने तीन प्रस्ताव रखे. पहला जिस तरह का व्यवहार एक 84 वर्षीय व्यक्ति के साथ हुआ है, वैसा किसी भी इंसान के साथ नहीं होना चाहिए. दूसरा, यूएपीए एक्ट, जिसके तहत किसी भी चीज के लिए बेल नहीं दी जाती, चाहे वह व्यक्ति बीमार क्यों न हो, यह एक्ट हमारे देश के लिए जरूरत नहीं है. इस एक्ट का राजनीतिक फायदा उठाना सही नहीं है. दूसरे राज्य के मुख्यमंत्री के साथ मिलकर जितना जल्दी इस एक्ट को हटाया जाए, वह बेहतर होगा.
तीसरा प्रस्ताव उन्होंने रखा कि ब्रिटिशों द्वारा पारित किये हुए सीडीशन कानून को लागू करते हुए यहां के लोगों को जेल में बंद करना सही नहीं है. ऐसे केसेज को हमारे नागरिकों से हटा देना चाहिए. इस अवसर पर उन्होंने मुख्यमंत्री को उनके साथ खड़े होने के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि यह हमारी इच्छा है कि फादर स्टेन द्वारा शुरू किए गए संघर्ष को हम जारी रखें.
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फादर स्टेन को सच्ची श्रद्धाजंलि तभी दे पाएंगे, जब हम उनके आदर्श अपनाएंगे – आर्चबिशप
मौके पर रांची महाधर्मप्रांत के आर्च बिशप फेलिक्स टोप्पो ने कहा कि विश्व महापुरुष किसे कहता है? जो मानव के अधिकारों और न्याय के लिए लड़ता हो, उसे महान कहा जाता है. फादर स्टेन ने ईसा मसीह की तरह लोगों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी. उनका भी विरोध हुआ, झूठे आरोप लगाए गए, जेल जाना पड़ा और अंत में मृत्यु को स्वीकार किया. इसके लिए हम उन्हें महान पुरुष मान सकते हैं. हम उन्हें सच्ची श्रद्धाजंलि तभी दे पाएंगे, जब हम उनके आदर्शों को अपनाएंगे.
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ये रहे उपस्थित
इस अवसर पर झारखंड में आदिवासियों के मुद्दों पर काम कर रहे समाजसेवी, पुरोहित, फिल्मकार, आदि ने भी फादर स्टेन के साथ गुजरे पलों को याद किया. मौके पर जमशेदपुर धर्मप्रांत के प्रशासक धर्माध्यक्ष तेलेस्फोर बिलुंग, संत अन्ना की मदर जेनरल सिस्टर लीली, संत अन्ना की प्रोवेंशियल सिस्टर मंजू, एससीजीएम की प्रोवेंशियल सिस्ट मेरी जोसेफ, फादर अजित खेस, फादर संतोष मिंज, फादर टोनी सहित अन्य लोग उपस्थित थे.