Pravin kumar
Ranchi : रांची में भूखंडों को विवादित करने का खेल सरकारी दफ्तरों से ही शुरू होता है. इस खेल में कुछ बड़े प्रशासनिक अधिकारियों की बड़ी भूमिका होती है. एक ऐसा ही मामला रांची के हेहल अंचल के खाता संख्या 140 के भूखंड से जुड़ा है. इसकी प्लॉट संख्या 1323, 1324, 1335, 1334, 1338, 1337 और 1339 का कुल रकबा 7.16 एकड़ है. इस जमीन की रजिस्ट्री डीड को संदिग्ध पाते हुए अंचल अधिकारी और डीसीएलआर ने विनोद कुमार सिंह के म्यूटेशन के आवेदन को खारिज कर दिया था. मामला उपायुक्त की अदालत में गया. उपायुक्त कोर्ट ने न केवल विनोद कुमार सिंह के पक्ष में फैसला सुनाया, बल्कि जिला प्रशासन ने रातोंरात इस जमीन पर चहारदीवारी बनवाने और दखल-कब्जा दिलाने के पुलिस बल और दंडाधिकारी की तैनाती भी कर दी. सवाल है कि उपायुक्त ने बिना दस्तावेज के म्यूटेशन आर्डर क्यों दिया, जबकि सीओ और डीसीएलआर इसे खारिज कर चुके थे. और दखल दिलाने के लिए आननफानन पुलिस की तैनाती क्यों की गयी?
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बिना डीड के ही उपायुक्त के कोर्ट ने म्यूटेशन का दिया फैसला
एलआरडीसी द्वारा म्यूटेशन रद्द किये जाने के बाद विनोद कुमार सिंह ने 1 अगस्त, 2018 को उपायुक्त के कोर्ट में रिव्यू पीटिशन दायर किया. करीब तीन दर्जन तारीखों में सुनवाई नहीं होने के बाद 02 फरवरी, 2021 को मामले की सुनवाई कर फैसला दिया गया. फैसले में विनोद कुमार सिंह के पक्ष में म्यूटेशन करने का आदेश दिया गया. दिलचस्प बात यह है कि इस मामले में जिस दस्तावेज के आधार पर म्यूटेशन मंजूर किया गया है, वह दस्तावेज निबंधन कार्यालय के रिकॉर्ड रूम में मौजूद ही नहीं है. इसके पहले विनोद कुमार सिंह के म्यूटेशन आवेदन को सीओ और एलआरडीसी ने संदिग्ध डीड और भूमि पर आवेदक का दखल नहीं होने के आधार पर खारिज किया जा चुका था.
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पांच दिन तक फोन, ह्वाट्सअप कॉल और मैसेज पर चुप्पी साधे रहे डीसी
लगातार न्यूज ने इस मामले में रांची के उपायुक्त छविरंजन का पक्ष जानने के लिए कई बार फोन किया. लेकिन उपायुक्त का फोन किसी अन्य नंबर पर डाइवर्ट बताता रहा. इसके उपरांत उन्हें ह्वाट्सअप कॉल करने की कोशिश की गयी, लेकिन फोन रिसीव नहीं हुआ. फिर उपायुक्त के नंबर पर प्रश्नावली मैसेज कर भी उनका पक्ष मांगा गया. पांच दिन बीत जाने के बाद भी उपायुक्त या उनके कार्यालय का पक्ष लगातार न्यूज को नहीं मिला. खबर प्रकाशित होने के बाद भी उपायुक्त छविरंजन अपना पक्ष रखते हैं, तो उसे प्रकाशित किया जायेगा.
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उपायुक्त छविरंजन से पूछे गये सवाल, जिनका उन्होंने जवाब नहीं दिया
हेहल अंचल के बजरा मौजा स्थित खाता नंबर 140 से रकबा 10.88 एकड़ भूमि बकाश्त मालिक प्रकृति की भूमि थी.
1. क्या यह बात सही है कि Tenure Holder {सीताराम साहू एंड अदर} को बकाश्त मालिक प्रकृति की भूमि की केवल बंदोबस्ती करने का अधिकार प्राप्त था, बेचने का नहीं?
2. क्या यह बात सही है? कि डीड नंबर 255, वॉल्यूम नंबर-6, पृष्ठ संख्या 133 से 134 तक ab initio void है?
3. क्या यह बात सही है? कि उक्त भूमि का बिहार भूमि सुधार अधिनियम 1950 की धारा 507 के अंतर्गत लगान निर्धारण किसी को नहीं होने के कारण खाता नंबर 140 रकबा 10.88 एकड़ सरकारी भूमि है?
4. क्या यह बात सही है कि Mutation Case No-1214R27/2015-16, Mutation Appeal No-139R15/2015-16, Mutation Revision No-24R15/2018-19 में खाता नंबर 140 रकबा 10.88 एकड़ सरकारी होने के संबंध में सरकार का पक्ष नहीं रखा गया?
5. क्या यह बात सही है? कि रवि कुमार भाटिया, पिता जसवंत सिंह निवास स्थान 1/3 बरगोनिया टावर कांट्रैक्टर्स एरिया बिष्टुपुर, जमशेदपुर, जिला पूर्वी सिंहभूम से आपका बेहद नजदीकी संबंध है?
6. क्या यह बात सही है? कि श्याम सिंह, पिता राम बहादुर सिंह, निवास स्थल बैकस्ट्रीट गौशाला नाला रोड स्थित मोहल्ला जुगसलाई जमशेदपुर जिला पूर्वी सिंहभूम से आपका बेहद नजदीकी संबंध है?
7. क्या यह बात सही है? कि एस.एस.आर.कोर्ट में हजारों मामलों में पुलिस बल एवं मजिस्ट्रेट की कमी बताकर आदिवासियों की दखल-दिहानी नहीं करायी गयी है?
8. क्या यह बात सही है? कि पूर्व योजना के तहत खाता नंबर-140, रकबा 10.88 एकड़ भूमि पर जिला प्रशासन द्वारा उपायुक्त की गोपनीय शाखा में में रवि कुमार भाटिया एवं श्याम सिंह से आवेदन दिला कर सैकड़ों की संख्या में पुलिस बल एवं मजिस्ट्रेट की प्रतिनियुक्ति 30 जून को करायी गयी है?
9. क्या यह बात सही है कि भूमि पर कब्जा दिलाने के लिए आपके द्वारा व्यक्तिगत रुचि लेकर त्वरित कार्रवाई की गयी है.
10. क्या यह बात सही है कि बजरा मौजा स्थित गैरमजरुआ खाता नंबर-119 पर कब्जा करने में भी आपकी व्यक्तिगत रुचि थी?
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