NewDelhi : कानून मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा CJI डी वाई चंद्रचूड़ को कॉलेजियम सिस्टम को लेकर एक पत्र लिखे जाने की खबर आयी है. जान लें कि इन दिनों जजों को चुनने की प्रक्रिया पर सरकार और न्यायपालिका में टकराव की स्थिति बनी हुई है. वर्तमान समय में जज कॉलेजियम सिस्टम के तहत चुने जाते हैं. यह सिस्टम सुप्रीम कोर्ट ने 25 साल पहले लागू किया था. लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद इस सिस्टम को लेकर सरकार और सुप्रीम कोर्ट आमने-सामने है.
Just a follow-up action of letters written earlier to CJI following direction of SC Constitution Bench while striking down National Judicial Appointment Commission Act.Constitution Bench had directed to restructure MoP of collegium system: Law Min to ANI on Centre’s letter to CJI pic.twitter.com/iCgLOEzlP8
— ANI (@ANI) January 16, 2023
खबर है कि अब केंद्र ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने और सार्वजनिक जवाबदेही तय करने के लिए सरकार के प्रतिनिधियों को शामिल करने का सुझाव दिया है.
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राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को बैकडोर से वापस लागू करने का प्रयास
जानकारों का मानना है कि कानून मंत्री का प्रोसिजर में संशोधन का सुझाव चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाले पांच जजों का कॉलेजियम स्वीकार करेगा, इस पर संदेह है. इसमें जस्टिस संजय किशन कौल, केएम जोसेफ, एमआर शाह और अजय रस्तोगी शामिल हैं. इन चार जजों में से कोई भी अगला सीजेआई नहीं बनने वाला है. ऐसे में कॉलेजियम में चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ के उत्तराधिकारी के तौर पर जस्टिस संजीव खन्ना का नाम छठे सदस्य के रूप में शामिल है.
सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि सरकार की तरफ से प्रतिनिधियों को शामिल करने का सुझाव राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को बैकडोर से वापस लागू करने का प्रयास है. NJAC ऐक्ट को संसद से पारित कर दिया था ,लेकिन अक्टूबर 2015 में पांच जजों की सुप्रीम कोर्ट बेंच ने असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया था.
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जगदीप धनखड़ ने कहा था, लोकतंत्र के अस्तित्व के लिए संसदीय संप्रभुता सर्वोपरि
हाल के दिनों में लोकसभा के स्पीकर और उपराष्ट्रपति समेत संवैधानिक पदों पर बैठे लोग कॉलेजियम सिस्टम की आलोचना कर चुके हैं. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ सुप्रीम कोर्ट पर विधायका के क्षेत्र में हस्तक्षेप का आरोप लगा चुके हैं. पिछले दिनों उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा था कि लोकतंत्र के अस्तित्व के लिए संसदीय संप्रभुता सर्वोपरि है और कार्यपालिका या न्यायपालिका को इसे कमजोर करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. उपराष्ट्रपति ने नसीहत दी थी कि लोकतंत्र तब कायम रहता है जब विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका मिलकर काम करती हैं.
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कॉलेजियम सिस्टम में पारदर्शिता और जवाबदेही का अभाव है
कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने पूर्व में कह चुके कि कॉलेजियम सिस्टम में पारदर्शिता और जवाबदेही का अभाव है. अब मंत्री ने पत्र के माध्यम से SC कॉलेजियम में सरकार के प्रतिनिधियों को शामिल करने का सुझाव दिया है. इसी तरह हाई कोर्ट कॉलेजियम में संबंधित राज्य सरकार के प्रतिनिधियों को शामिल करने का आग्रह किया है. सुप्रीम कोर्ट के कुछ पूर्व जजों की नजर में कॉलेजियम सिस्टम ठीक नहीं है.
कॉलेजियम प्रक्रिया का मतलब, आप मेरा बचाव करो, मैं आपका
10 नवंबर 2011 को सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज रूमा पाल ने कॉलेजियम सिस्टम की आलोचना करते हुए कहा था कि जिस प्रक्रिया के तहत शीर्ष अदालतों में जजों की नियुक्ति की जाती है, वह अपने देश के कुछ बड़े रहस्यों में से एक है. कहा था कि कॉलेजियम प्रक्रिया ने ऐसी धारणा बना दी है कि आप मेरा बचाव करो, मैं आपका.