Praveen Kumar
Ranchi: झारखंड सरकार ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के 18 अधिकारियों का स्थानांतरण और पदस्थापन कार्मिक के अधिसूचना संख्या 4103 के माध्यम से 8 जुलाई को किया था. इसमें प्रमंडलीय आयुक्त नितिन मदन कुलकर्णी का भी स्थानांतरण भी किया गया था. नितिन मदन कुलकर्णी का मूल पद प्रमंडलीय आयुक्त का था. साथ ही अतिरिक्त प्रभार के रूप में राज्यपाल के प्रधान सचिव थे. जिस कारण से अगर नितिन मदन कुलकर्णी प्रमंडलीय आयुक्त का पद छोड़ देते,तो उन्हें राज्यपाल के प्रधान सचिव का पद भी तकनीकी वजहों से छोड़ना पड़ता. इसे लेकर राजभवन ने प्रभारी मुख्य सचिव को तलब भी किया था. प्रभारी मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह से पूछा था कि बिना पूछे उनके प्रधान सचिव नितिन मदन कुलकर्णी का ट्रांसफर किस परिस्थिति में किया गया.
इसी दौरान राज्यपाल ने प्रधान सचिव के तबादले पर आपत्ति जताई थी. इस तबादले के 46 दिन बाद कार्मिक ने 24 अगस्त को पुनः अधिसूचना जारी कर पूर्व के आदेश को बदलते हुए राज्यपाल ने प्रधान सचिव के पद पर स्थानांतरण किया. नितिन मदन कुलकर्णी तबादले के बाद प्रमंडलीय आयुक्त पद पर बने रहे. लेकिन इस बीच कमिश्नर कोर्ट में एक भी सुनवाई नहीं हुई. कमिश्नर कोर्ट में 530 केस पेंडिंग हैं. सूत्रों के मुताबिक, जिस तरह प्रमंडलीय आयुक्त के पद पर नितिन मदन कुलकर्णी कार्य कर रहे थे, डेढ़ महीने में 30 से अधिक केस का डिस्पोजल कर दिये जाते. दक्षिणी छोटानागपुर कमिश्नर कोर्ट में 530 मामला अभी भी पेंडिंग है.
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45 दिनों में नितिन मदन कुलकर्णी,प्रवीण टोप्पो, के श्रीनिवासन, ए मुथुकुमार भी बनाये गये आयुक्त
सरकार द्वारा प्रमंडलीय आयुक्त के पद से नितिन मदन कुलकर्णी को हटाये जाने की अधिसूचना जारी होने के बाद नितिन मदन कुलकर्णी के स्थान पर प्रवीण टोप्पो को प्रमंडलीय आयुक्त बनाया गया. लेकिन प्रवीण टोप्पो को अगले दिन ही हटा दिया गया. फिर के श्रीनिवासन को 11 जुलाई को दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के प्रमंडलीय आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया. वहीं 24 अगस्त को जारी अधिसूचना में ए मुथुकुमार को प्रभारी प्रमंडलीय आयुक्त दक्षिणी छोटानागपुर बनाया गया है.
नितिन मदन कुलकर्णी के तबादले का राजभवन ने जताई थी आपत्ति
अधिसूचना संख्या 4103 के तबादले के मुताबिक, नितिन मदन कुलकर्णी को राज वित्त आयोग का अध्यक्ष बनाया गया, वहीं राहुल शर्मा को राज्यपाल के प्रधान सचिव का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया. राजभवन ने प्रभारी मुख्य सचिव से कहा कि इस मामले में मुख्यमंत्री सचिवालय से बात की जाएगी. राजभवन के अनुसार, अब तक की परंपरा रही है कि राज्यपाल के प्रधान सचिव, एडीसी आदि को पदस्थापित करने या तबादला करने से पहले एक बार पूछ लिया जाता है. राज्यपाल के पास इसके लिए तीन नाम भेजे जाते हैं, जिसपर उनकी सहमति के बाद किसी एक अधिकारी को पदस्थापित किया जाता है. लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं किया गया.
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