Vinit Abha Upadhyay
Ranchi : झारखंड हाईकोर्ट ने अपने एक ताजा फैसले में कहा है कि चिकित्सकीय लापरवाही की शिकायत पर तब तक विचार नहीं किया जा सकता, जब तक इसके समर्थन में अन्य डॉक्टर साक्ष्य न दें. अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि किसी शिकायत पर तब तक विचार नहीं किया जा सकता, जब तक कि आरोपी डॉक्टर की लापरवाही के समर्थन में किसी अन्य डॉक्टर की विश्वसनीय राय के रूप में प्रथम दृष्टया साक्ष्य प्रस्तुत न किया जाये. दरअसल धनबाद के डॉक्टर डॉ. सुमन कुमार पाठक के खिलाफ चिकित्सकीय लापरवाही का आरोप लगाते हुए गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था. जिसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. डॉ. सुमन की याचिका पर हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत में सुनवाई हुई.
क्या था मामला
शिकायतकर्ता ने डॉ सुमन के खिलाफ जो शिकायत दर्ज करवायी थी, उसमें कहा गया था कि डॉक्टरों द्वारा की गयी घोर चिकित्सा लापरवाही के कारण उनके पिता की मृत्यु हो गयी थी. मृतक मरीज को कमजोरी और पेशाब करने में परेशानी की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया था. अस्पताल ने परिजनों को कुछ दवाइयां खरीदने के लिए कहा और यह भी सुझाव दिया कि मरीज को शुगर है, इसलिए उसे इंसुलिन दिया जाना चाहिए. लेकिन अस्पताल की ओर से उचित देखभाल नहीं किया गया. वर्ष 2011 में द्वारका दास जालान अस्पताल के खिलाफ कांति सिन्हा की मृत्यु के बाद प्राथमिकी दर्ज करवायी गयी थी.