Mithilesh kumar
Dhanbad: कोयला क्षेत्र में मजदूरों के नाम पर दर्जनों संग़ठन हैं. अधिकतर किसी न किसी राजनीतिक दल से जुड़े हैं. इन संगठनों में से अधिकतर को मजदूरों की समस्याओं से सरोकार कम है. नेताओं के सरोकार ही ज्यादा हैं. संगठनों से मजदूरों का कितना भला होता है, यह शोध का विषय हो गया है.
12 एरिया, 2 वाशरी में शाखा
राष्ट्र हित, उद्योग हित और मजदूर हित के घोष वाक्य के साथ सक्रिय है-धनबाद कोलियरी कर्मचारी संघ. अखिल भरतीय खदान मजदूर संघ के कार्यकारी अध्यक्ष महेंद्र सिंह ने बताया कि धनबाद कोलियरी कर्मचारी संघ की बीसीसीएल के 12 एरिया, 2 वाशरी और मुख्यालय में शाखा है. संघ के हजारों सदस्य हैं. श्रमिकों के वेतनमान, आउटसोर्स कंपनियों में श्रमिकों की मजदूरी के मुद्दे पर इनके पास साफ जवाब नहीं है. महेंद्र सिंह इसे सरकार और प्रशासन का मुद्दा बताते हैं. धनबाद कोलियरी कर्मचारी संघ का गठन 24 अगस्त 1984 को हुआ था. खुद को यह गैर राजनीतिक संग़ठन कहता है. कोलियरी कर्मचारी संघ से अलग होकर यह संग़ठन बना था. इस संगठन से समरेश सिंह और कई राजनीतिक जुड़े हुए थे. कई मुद्दों पर बात नहीं बनती थी. इससे अलग होने के बाद धनबाद कोलियरी संघ ने खुद को मजबूत किया.
24 मार्च को किया प्रदर्शन
महेंद्र सिंह ने लगातार को बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण संग़ठन का काम प्रभावित हुआ. अभी श्रमिकों के मुद्दों पर आवाज बुलंद कर रहे हैं. 24 मार्च को पीएफ की राशि को लेकर सीएमपीएफ कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया था. श्रमिकों की राशि शेयर मार्केट में लगा दिया गया. जिस कंपनी में पैसा लगाया गया था, वह अचानक दिवालिया हो गई, कंपनी के पास 772 करोड़ बकाया था. जिसे सीएमपीएफ के कमिश्नर छोड़ देना चाहते थे. प्रदर्शन के कारण कमिश्नर को अपनी नीति बदलनी पड़ी. इसके अलावा जेबीसीसीआई , बंद हो रही कोलियरी और वाशरी को लेकर भी चरणबद्ध आंदोलन कर रहे हैं .
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ाव
श्री सिंह ने कहा कि यूनियन पर आज तक रंगदारी मांगने का आरोप नहीं है. हम मजदूरों के नाम पर भी पैसा नहीं वसूलते हैं. अपने सदस्यों से 300 रुपया तक सदस्यता शुल्क लेते हैं . साथ ही अधिवेशन आदि के लिए अलग से सदस्यों से शुल्क लिया जाता है. संगठन में पैसे का इंतजाम इसी तरीके से होता है. आय का कोई दूसरा माध्यम नहीं है. उन्होंने बताया कि संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा है. सीधे तौर पर भारतीय मजदूर संघ से जुड़ाव है. राष्ट्र हित, उद्योग हित, मजदूर हित के लिए काम करता है. बीजेपी से उनका कोई लेना-देना नहीं है, उनकी भी गलत नीतियों का विरोध करते हैं. संगठन का एक ही नारा है-देश हित में करेंगे काम, काम के लेंगे पूरे दाम. देश के शीर्ष पदों पर बैठे व्यक्ति के वेतन के 10 वें भाग पर मजदूरों का हक है, ऐसा हम सोचते हैं और हक के लिए लड़ते भी हैं. संग़ठन परिवार विशेष का नहीं है. यहां कोई भी अपनी बात रख सकता है. योग्यता और क्षमता के अनुसार बड़े पदों पर बैठ सकता है.
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