Ranchi: 15वें वित्त में संविदा पर काम करने वाले जूनियर इंजीनियर (जेई) और लेखा लिपिक सह कंप्यूटर ऑपरेटर की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर 15 जुलाई तक योगदान कराने का आश्वासन मंत्री आलमगीर आलम ने दिया था. लेकिन इस दिशा में विभाग की तरफ से सुस्ती दिखायी जा रही है. मंत्री आलमगीर आलम के आश्वसन के मुताबिक, 15 जुलाई तक नियुक्ति प्रक्रिया पूरा होना संभव नहीं है. हर जिले में 100 में 90 नंबर के आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार है. सिर्फ 10 नंबर की परीक्षा का बहाना बनाकर पिछले तीन महीने से सरकार इसको टालते आ रही है. जबकि मैट्रिक और इंटर सहित कई प्रतियोगी परीक्षाओं को रद्द कर वैकल्पिक व्यवस्था पर सरकार काम कर रही है. केंद्र सरकार और पड़ोसी राज्य बिहार में भी कई प्रतियोगी परीक्षाओं की तिथि निकल चुकी है. लेकिन झारखंड सरकार इस मामले में उदासीन है. इन बातों को संविदा संघ ने एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा है. संघ का कहना है कि 15वें वित्त की नियुक्ति कोरोना महामारी को देखते हुए मेरिट पर किया जा सकता था. लेकिन इसपर भी पहल नहीं हुआ.
इसे भी पढ़ें – CID के 13 सब इंस्पेक्टर का तबादला, जबेदुल्ला अंसारी बने प्रभारी डीसीबी रांची
अब तीसरे लहर का बनाया जाएगा बहानाः संघ
संविदा कर्मी संघ ने कहा है कि कोरोना की तीसरी लहर के आने की संभावना है. अगर अभी 15 वें वित्त की परीक्षा नहीं ली गयी तो सरकार फिर तीसरे लहर का बहाना बनाना शुरू कर देगी. जबकि कोरोना का संक्रमण दर अभी कम है. राज्य की तरफ से आयोजित परीक्षा पर पाबंदी लगाई हुई है. 15वें वित्त में अभ्यर्थी काफी कम है. तीन गुणा अभ्यर्थियों का एग्जाम लेना है. किसी जिले में 30 तो किसे जिले में 100 अभ्यर्थी के लगभग होंगे. जिनको 10-10 फीट की भी दूरी पर बैठाया जा सकता है. आपदा विभाग को इसके लिए पत्र भी भेजा गया.
लेकिन निर्णय पिछले 20 दिनों से लटका हुआ है. सरकार से 14 वें वित्त कर्मी संघ मांग करता है कि मेरिट के आधार पर न्युक्ति प्रक्रिया को अविलंब पूरी की जाए. अगर सरकार 10 जुलाई तक निर्णय नहीं लेती है तो 11 को ऑनलाइन बैठक किया जायेगा और आंदोलन के लिए रूप रेखा तैयार की जाएगी. संघ कर्मियों ने कहा कि घर पर बेरोजगारी के मानसिक अवसाद में घुट-घुट कर मरने से अच्छा है कि जेल में रहें. अगर सरकार ठोस निर्णय नहीं लेती है तो अगला सप्ताह आंदोलन की रूप रेखा तैयार कर जोरदार आंदोलन किया जाएगा.
इसे भी पढ़ें –बकायेदारों से टैक्स वसूलने में DMC सबसे पीछे, अकेले BCCL के पास 250 करोड़ से ज्यादा बकाया