Ranchi: झारखंड अनुबंधित पारा चिकित्साकर्मी संघ एवं एएनएम/जीएनएम संघ के संयुक्त बैनर तले प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया. इस दौरान स्वास्थ्य विभाग के अनुबंध कर्मी, इनमें फार्मासिस्ट, एक्सरे टेक्नीशियन, एएनएम, जीएनएम, लैब टेक्नीशियन ने निर्णय लिया है कि सोमवार को मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेंगे. इस संबंध में झारखंड अनुबंधित पारा चिकित्साकर्मी संघ द्वारा जिले के उपायुक्तों को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन के माध्यम से पहले ही जानकारी दे दी गयी है. संघ पारा मेडिकल नियमावली 2018 में आंशिक संशोधन करते हुए स्वास्थ्य विभाग के सभी पारा मेडिकल कर्मियों को वर्ष 2014 की तरह विभागीय समायोजन की प्रक्रिया अविलंब शरु नहीं होने के कारण आक्रोशित हैं. मांगें पूरी नहीं होने पर 16 जनवरी (सोमवार) को संघ ने मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने का निर्णय लिया है.
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आंदोलन की रूपरेखा तैयारः विनय कुमार सिंह
संघ के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने कहा कि हमारी मांग पर सरकार ने विचार नहीं किया, तो 17 जनवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे. साथ ही राजभवन के पास धरना-प्रदर्शन किया जाएगा. इसके बावजूद भी मांगें नहीं पूरी होती हैं तो 24 जनवरी से आमरण अनशन करने का निर्णय लिया गया है.
अल्प मानदेय में काम करवा रही है सरकार, परिवार का भरण-पोषण कठिनः वीणा सिंह
वहीं झारखंड राज्य एनआरएचएम एएनएम/जीएनएम संघ की प्रदेश महासचिव वीणा सिंह ने कहा कि विकट परिस्थितियों में भी अनुबंध कर्मी सरकार के द्वारा चलाई जा रही तमाम योजनाओं को सफल किया है. फ्रंटलाइन वर्कर के रूप में काम करते हुए वैश्विक महामारी कोरोना पर विजय प्राप्त की है. इसमें अधिकांश संख्या में अनुबंध कर्मी कोरोना पॉजिटिव हुए. सरकार के कई महत्वपूर्ण योजनाओं को सफल बनाने में कड़ी मेहनत करते है, लेकिन हमलोगों को अल्प मानदेय में काम करना पड़ता है. इस कारण सही से परिवार का भरण पोषण एवं बच्चे को पढ़ाई नहीं हो पा रही हैं. सरकार मांग नहीं मानती है तो करो या मरो के तर्ज पर आंदोलन चलता रहेगा.
विभिन्न संगठनों ने भी दिया समर्थन
इस आंदोलन में झारखंड अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ, ऑल झारखंड पारा मेडिकल एसोसिएशन आदि संगठनों के द्वारा भी समर्थन मिला है. साथ ही अन्य संगठनों के द्वारा भी सहयोग मिल रहा है. झारखंड राज्य एनआरएचएम एएनएम/जीएनएम संघ की प्रदेश अध्यक्ष मीरा कुमारी ने कहा कि हमारे आंदोलन को कमजोर करने के लिए समाचार पत्रों में सरकार के द्वारा खबर चलाया जा रहा है कि अनुबंध कर्मी को स्थाई किया जाएगा. लेकिन यह आश्वासन सुनते-सुनते तीन साल बीत चुका है. जब तक नियमितीकरण की राह प्रशस्त नहीं होगी तब तक हम संघर्षरत रहेंगे.