Lagatar Desk : यूरोपीय देशों में कोरोना का संकट फिर से गहरा गया है. इसने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की चाल को सुस्त कर दिया है. पिछले सत्र में बेंचमार्क कच्चे तेल का दाम 6.52 फीसदी गिरा है. वहीं करीब 6 हफ्ते बाद ब्रेंट क्रूड 60 डॉलर प्रति बैरल के आसपास आ गया है. पिछले 15 दिनों में कच्चे तेल की कीमतें 15 फीसदी से ज्यादा गिरी है. इस बीच भारत में पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की चर्चाओं पर भाजपा सांसद और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने एक अहम बात कही है. उन्होंने राज्यसभा में बुधवार को कहा कि अगले 8 से 10 सालों तक पेट्रोल व डीजल को जीएसटी के दायरे में लाना संभव नहीं है. इससे राज्यों को दो लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा.
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भारतीय कंपनियों ने दाम घटाये, हो सकती है और कमी
कच्चे तेल के दाम में कमी के कारण देश में 24 दिनों के बाद पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी की गयी है. जानकार बताते हैं कि आगे इनकी कीमतों में और भी कमी की जा सकती है. आइआइएफएल सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसीडेंट (एनर्जी व करेंसी रिसर्च) अनुज गुप्ता के अनुसार कोरोना के बढ़ते प्रकोप के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की खपत प्रभावित होने की आशंका बनी हुई है. इसलिए कीमतों पर आगे भी दबाव बरकरार रह सकता है. हालांकि भारतीय उपभोक्ताओं को कच्चे तेल में नरमी रहने से आगामी दिनों में और राहत मिल सकती है.
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यूरोप में लॉकडाउन से गिरी हैं कच्चे तेल की कीमतें
गौरतलब है कि कोरोना का प्रकोप गहराने के बाद यूरोप में तीसरी बार लॉकडाउन लगाये जाने से बीते सत्र में कच्चे तेल के दाम में भारी गिरावट आयी. इसके बाद ब्रेंट क्रूड का भाव 6 सप्ताह के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम गिरने के बाद भारतीय तेल कंपनियों ने 24 दिनों के बाद बुधवार को इनके दाम में कटौती की है.
पेट्रोल व डीजल को जीएसटी के दायरे में लाना संभव नहीः सुशील मोदी
राज्यसभा में वित्त विधेयक, 2021 पर चर्चा में भाग लेते हुए सुशील मोदी ने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों पर केंद्र और राज्यों को सामूहिक रूप से पांच लाख करोड़ रुपये मिलते हैं. उन्होंने कहा कि जीएसटी में अभी टैक्स की अधिकतम दर 28 फीसदी है. अभी 100 रुपये में 60 रुपये टैक्स के होते हैं. उन्होंने कहा कि इस 60 रुपये में केंद्र को 35 रुपये और राज्यों को 25 रुपये मिलते हैं. इसके अलावा केंद्र के हिस्से के 35 रुपये की 42 प्रतिशत राशि भी राज्य को ही मिलती है.
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