LagatarDesk : यूक्रेन पर हमले के बाद रूस पर कई देशों ने कड़े प्रतिबंध लगाये गये हैं. अब अमेरिका और यूरोपीय देश भी रूस पर कच्चे तल और गैस पर बैन लगाने की तैयारी में है. रूस-यूक्रेन युद्ध और ईरानी कच्चे तेल की संभावित सप्लाई में देरी के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमत में रिकॉर्ड तेजी बनी हुई है. यह 14 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है.
जुलाई 2008 के बाद सबसे उच्चतम स्तर पर कच्चे तेल के दाम
फिलहाल ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत में 11.62 फीसदी की तेजी है. जिसके बाद ब्रेंट क्रूड की कीमत 129.7 डॉलर प्रति बैरल हो गया है. यह जुलाई 2008 के बाद सबसे ऊंचा स्तर है. इसी तरह वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्लूटीआई) भी 9.90 फीसदी उछलकर 125.6 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच चुका है. फीसदी के अनुसार, मई 2020 के बाद पहली बार एक दिन में कच्चे तेल के दाम में इतनी बढ़त देखने को मिली है. जुलाई 2008 में ब्रेंट क्रूड 147.50 डॉलर और डब्ल्यूटीआई 147.27 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था.
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2022 में 185 डॉलर हो सकती है कच्चे तेल की कीमत
कच्चे तेल की कीमत पहले से ही रिकॉर्ड स्तर पर है. लेकिन भविष्य में इसमें और तेजी आयेगी. जेपी मार्गन ने भविष्यवाणी की है कि इस साल कच्चे तेल के दाम 185 डॉलर प्रति बैरल को पार कर जायेगा. जेपी मार्गन ने कहा कि ऐसा तब होगा जब रूस से आने वाला सप्लाई जारी रहेगा. मार्गन ने आगे कहा कि रूस से आने वाले सप्लाई अगर प्रभावित होती है तो उससे प्रति दिन 3 मिलियन यानि 30 लाख बैरल कच्चे तेल की मांग पर असर पड़ेगा. जिससे इसकी कीमत में बेतहाशा वृद्धि होगी.
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दुनिया के बड़े तेल उत्पादक देशों में शामिल है रूस
रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध अगर नहीं थामा तो कच्चे तेल के दाम और बढ़ सकते हैं. जिससे भारत की मुसीबत और बढ़ जायेगी. दरअसल रूस दुनिया के बड़े तेल उत्पादक देशों में शामिल है. रूस, यूरोप को उसके कुल खपत का 35 से 40 फीसदी कच्चा तेल सप्लाई करता है. भारत भी रूस से कच्चा तेल खरीदता है. दुनिया में 10 बैरल तेल जो सप्लाई की जाती है उसमें एक डॉलर रूस से आता है. ऐसे में कच्चे तेल की सप्लाई बाधित होने से कीमतों में और अधिक तेजी आ सकती है.