Ranchi: थैलेसीमिया से पीड़ित जिशान की मौत पिछले साल हो गई थी. उसका 11 साल का भाई इरफान भी थैलेसीमिया से पीड़ित है. इरफान को देख परिवार के लोगों को जिशान की याद आती है. किसी अनहोनी की कल्पना मात्र से मन विचलित हो जाता है. घर की आर्थिक स्थिति ने इरफान के इस रोग को और डरावना बना दिया. बच्चे के पिता साइकिल दुकान में काम करते हैं, उनकी आमदनी से बेटे का इलाज संभव नहीं.
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अब परिजन किसी हाल में इरफान को खोना नहीं चाहते हैं. यह कहते-कहते शबाना की आंखें भर आईं. लेकिन उसके चेहरे पर संतोष और राज्य सरकार के प्रति आभार का भाव स्पष्ट झलक रहा था. शबाना ने कहा कि मैं शुक्रगुजार हूं सरकार की आज मेरे बेटे का इलाज सदर अस्पताल, रांची में संचालित डे-केयर सेंटर में हो रहा है. शबाना उन माता-पिता और जरूरतमंदों में से एक हैं, जिनके अपनों के रक्त संबंधित विकारों का इलाज यहां हो रहा हैं.
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आवश्यक सुविधाओं से लैस है डे-केयर सेंटर
थैलेसीमिया जैसे रक्त संबंधी विकारों के इलाज के लिए राज्य सरकार ने सदर अस्पताल को सभी जरूरी संसाधनों से लैस किया है. यहां दवाओं के साथ खून भी नि:शुल्क प्रदान किया जाता हैं. सिविल सर्जन रांची डॉ विजय बिहारी प्रसाद ने कहा कि ये सुविधाएं मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी. उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए समर्पित इनडोर खेल का मैदान भी बनाया गया है.
यह इनडोर प्ले कॉर्नर उन बच्चों के लिए एक सकारात्मक स्थान के रूप में कार्य करता है जो रक्त विकारों और अन्य बीमारियों के इलाज के लिए सदर अस्पताल आते हैं. वर्तमान में केंद्र 100 बेड की क्षमता के साथ सफलतापूर्वक चल रहा है. सरकार राज्यवासियों को विश्व स्तर की स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में कड़ियां जोड़ रही है.
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बाल रोगियों के लिए अनुकूल वातावरण
डे-केयर सेंटर का प्राथमिक उद्देश्य रक्त विकार से जुड़े रोगों से पीड़ित बच्चों को उचित उपचार प्रदान करना है. केंद्र में बच्चों के अनुकूल वातावरण सुनिश्चित करने के उपाय किए गए हैं. बच्चों के लिए आरामदायक कमरे, दीवारों पर सुंदर पेंटिंग, लुभावने बाल-सुलभ वॉलपेपर और टेलीविजन लगाये गये हैं. बच्चों को पौष्टिक भोजन, अनुकूल कमरे के साथ-साथ चाइल्ड-फ्रेंडली नर्स और डॉक्टर युनिट में प्रतिनियुक्त किये गए हैं. युनिट में प्रतिनियुक्त नर्सों को चाइल्ड-केयर का आवश्यक प्रशिक्षण दिया गया है.
ये सभी रक्त विकार से पीड़ित बच्चों के लिए उनके अनुरूप माहौल बनाने में मदद करते हैं. उपचार के लिए केंद्र में आने वाले रोगियों को नाश्ता, दोपहर का भोजन और रात का खाना भी दिया जाता है. केंद्र गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही झारखण्ड की आबादी के लिए जीवन रेखा के रूप में कार्य कर रहा है. केंद्र प्रबंधक बताते हैं कि यहां इलाज के लिए राज्य भर से मरीज तो आते ही हैं, इसके अलावा ओडिशा, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ से भी मरीज आ रहे हैं.
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