NewDelhi : दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल सरकार से जानकारी मांगी है कि उनकी सरकार विज्ञापनों पर कितना खर्च करती है. खबर है कि नगर निगम कर्मचारियों के बकाया वेतन और पेंशन के मुद्दे पर सुनवाई के क्रम में हाई कोर्ट इस बाबत पूछा. दिल्ली सरकार ने अदालत में कहा कि उसे केंद्र से 305 करोड़ रुपये ही मिल रहे हैं.
नॉर्थ एमसीडी ने अदालत में कहा कि उसने फंड जुटाने के लिए टाउन हॉल को ASI को देने का फैसला किया है. इसके लिए डीजी, एएसआई को पत्र भी लिखा गया है. कहा कि एक कीमत भी तय की गयी है.
इस क्रम मैं नॉर्थ एमसीडी ने कोर्ट के समक्ष कहा कि उसने अपने दो बड़े अस्पतालों को लीज पर टेकओवर करने के लिए केंद्र से अनुरोध किया है. साथ ही नॉर्थ एमसीडी ने अपनी 11 ऐसी संपत्तियों का ब्यौरा दिल्ली हाई कोर्ट के सामने रखा और दावा किया कि इन्हें लीज पर देने के लिए टेंडर फ्लोट किये गये हैं, ताकि राशि जुटायी जा सके.
इसे भी पढ़ें : मोदी कैबिनेट के नये मंत्री कार्यालय पहुंचे, कामकाज संभाला, प्रधानमंत्री मोदी के साथ कैबिनेट मीटिंग शाम में
दिल्ली सरकार पर 900 करोड़ रुपये का बीटीए बकाया
साथ ही आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार पर 900 करोड़ रूपये का बीटीए बकाया है. इसीलिए उसके पास फंड की अभी भी कमी बनी हुई है. नॉर्थ एमसीडी ने दावा किया कि उसने कुछ कर्मचारियों को अप्रैल तक का, कुछ को मई तक का वेतन दे दिया है. कहा कि पेंशन सिर्फ फरवरी महीने तक की दी गयी है.
इसे भी पढ़ें : इस्लामिक देशों के संगठन OIC ने कश्मीर और भारतीय मुसलमानों के मुद्दे पर नजर टेढ़ी की, जम्मू-कश्मीर भेजना चाहता है प्रतिनिधिमंडल
कर्मचारियों को माह के अंत में सैलरी चाहिए
दिल्ली हाईकोर्ट ने एमसीडी की दलील सुन कर कहा कि आपके आंतरिक विवाद से कर्मचारियों का कोई लेना देना नहीं है. उन्हें माह के अंत में सैलरी चाहिए कोर्ट ने कहा कि हमें निगम की प्रॉपर्टी की कुर्की करनी होगी. हम तभी ऐसा नहीं करेंगे अगर निगम हमें आज की तारीख में बताती है कि उसने फंड जुटाने के लिए क्या प्रभावी कदम उठाये.
इसे भी पढ़ें : पंजाब सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह सोनिया गांधी से मिले, प्रशांत किशोर से भी मिले, राजनीतिक गलियारों में अटकलें जारी
दिल्ली सरकार ने निगम के दावों पर आपत्ति जताई
दिल्ली सरकार ने निगम के दावों पर आपत्ति भी जताई. कहा कि यह समस्या पिछले पांच सालों से जारी है और हर बार एमसीडी की ओर से कोशिश यही रहती है कि वह दिल्ली सरकार में खामी दिखाये. सरकार राजस्व बनाने वाला संस्थान नहीं है. हमें केंद्र से पिछले पांच साल से 305 करोड़ ही मिल रहे हैं ओर हमारा बजट नहीं बढ़ाया गया है तो क्या हम केंद्र को कटघरे में खड़ा करते रहें.
अदालत ने केजरीवाल सरकार से मांगा जवाब
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा, हर एक अथॉरिटी पब्लिक ऑफिस या पब्लिक ट्रस्ट को होल्ड करती है इसीलिए उसकी जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वह जो भी करें वह जनता के हित में हो. वे उस पद पर अपने आप को प्रमोट करने के लिए नहीं होते. कोर्ट ने यह टिप्पणी दिल्ली सरकार से सवाल करते हुए की कि वह पूरी जिम्मेदारी से बताय कि विज्ञापनों पर वह कितना खर्च करती है.
बता दें कि दिल्ली सरकार ने निगम पर भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप लगाया था. इस पर हाई कोर्ट ने सरकार को टोकते हुए कहा कि उसकी सरकार भी कोई खास बेहतर नहीं है.