मैनहर्ट से भी बड़ा घोटाला है 2016-17 में हुआ टॉफी और टी-शर्ट घोटाला- सरयू
विधानसभा की अनागत प्रश्न क्रियान्वयन समिति कर रही है मामले की जांच
झारखंड हाईकोर्ट में भी एक रिट पर चल रही है मामले की सुनवाई
Jamshedpur: विधायक सरयू राय ने 2016-17 में हुए टॉफी और टी-शर्ट घोटाले की जांच सीबीआई या एसीबी से कराने की मांग की है. उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है. सरयू राय ने कहा है कि 2016-17 में हुआ टॉफी, टी-शर्ट, गीत-संगीत, साज-सज्जा घोटाला मैनहर्ट घोटाला से भी ज्यादा गंभीर है. इस घोटाले के सभी केन्द्रीय पात्र जमशेदपुर से जुड़े हैं. यह घोटाला वर्ष 2016 और 2017 में 15 नवम्बर को हुए झारखंड राज्य स्थापना दिवस समारोह के आयोजन में हुआ था. उन्होंने कहा है कि इस घोटाला की जांच विधान सभा की अनागत प्रश्न क्रियान्वयन समिति कर रही है. मामले में झारखंड हाईकोर्ट में भी एक रिट याचिका पर सुनवाई चल रही है.
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2016 में बिना टेंडर के खरीदा गया था टॉफी और टी-शर्ट
सरयू राय ने लिखा है कि समय कम होने का बहाना बनाकर 2016 के राज्य स्थापना दिवस समारोह की सुबह प्रभात फेरी में शामिल होने वाले बच्चों को देने के लिये एक प्रिंटेड टी-शर्ट और टॉफी का एक पैकेट बिना निविदा निकाले मनोनयन के आधार पर खरीदा गया था. टॉफी की खरीद जमशेदपुर के सिदगोड़ा स्थित लल्ला इंटरप्राईजेज से और टी शर्ट कदमा के प्रकाश शर्मा के माध्यम से खरीदी गई थी.
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लल्ला इंटरप्राइजेज ने नहीं खरीदा टॉफी, लेकिन 35 लाख का भुगतान
प्रारम्भिक जांच में पता चला कि 2016-17 में लल्ला इंटरप्राईजेज ने न तो एक भी टॉफी खरीदा और न ही बेचा, लेकिन एक साजिश के तहत सरकार से 35 लाख रूपये का चेक ले लिया और उस पर (वैट) का करीब 4 लाख रूपये का भुगतान कर दिया. वहीं वाणिज्य कर विभाग ने टॉफी की बिक्री छिपाने के लिये लल्ला इंटरप्राईजेज पर 17 लाख रूपये से अधिक का जुर्माना लगा दिया है.
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बिना रोड परमिट के लुधियाना से कैसे आया 5 करोड़ का टीशर्ट
प्रकाश शर्मा के माध्यम से 5 करोड़ रूपये की टी शर्ट की ख़रीदी लुधियाना के कुडु फैब्रिक्स से दिखाई गई है, लेकिन झारखंड सरकार के वाणिज्य कर विभाग ने इसके लिये रोड परमिट नहीं दिया है. टी शर्ट की इतनी बड़ी खेप लुधियाना से रांची, जमशेदपुर, धनबाद सड़क मार्ग से आई या रेल मार्ग से आई इसकी सूचना वाणिज्य कर विभाग को नहीं है, लेकिन भुगतान पूरा हो गया है. अब झारखंड सरकार के वाणिज्य कर विभाग ने पंजाब सरकार से इस बारे में जानकारी मांगा है.
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सुनिधि चौहान के कार्यक्रम में 11 लाख ज्यादा का भुगतान
सरयू ने लिखा कि 15 नवम्बर 2016 को पूर्व निर्धारित मनोरंजन कार्यक्रमों के बीच एक घंटा के लिये गायिका सुनिधि चौहान का गीत कार्यक्रम रखा गया. 9 नवम्बर 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में मुख्यमंत्री के वरीय आप्त सचिव ने सुनिधि चैहान को बुलाने का प्रस्ताव रखा, जिसपर करीब 44 लाख रूपया का खर्च बताया. प्रस्ताव स्वीकृत हो गया, लेकिन इसपर कुल भुगतान दिखाया गया 55 लाख रूपया से अधिक.
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सूर्य मंदिर में सुनिधि चौहान के कार्यक्रम का भुगतान कैसे हुआ ?
इसके तीन दिन पहले 6 नवम्बर 2016 को छठ पर्व पर सूर्य मंदिर परिसर, जमशेदपुर में सुनिधि चौहान का गीत कार्यक्रम हुआ था. तत्कालीन मुख्यमंत्री ही उस समय तथाकथित सूर्य मंदिर समिति के संरक्षक थे. सरकार ने तो 15 नवम्बर के सुनिधि चौहान के एक घंटा के प्रोग्राम के लिये 55 लाख रूपया से अधिक का भुगतान किया. सवाल है कि सूर्य मंदिर समिति ने उन्हें कितने का भुगतान किया? या सरकार ने ही दोनों कार्यक्रमों का भुगतान कर दिया.
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राज्य को बदनाम करने वाले घोटाले की एसीबी से जांच हो
इसके अलावा रांची शहर में एक दिन के सजावट पर बिजली विभाग ने 15 नवम्बर 2016 को 4 करोड़ रूपया से अधिक खर्च दिखाया है. यह खर्च 2017 में करीब 2 करोड़ रूपया है. 2016 के कार्यक्रम में कुल खर्च करीब 9.50 करोड़ रूपया दिखाया है, जबकि यही खर्च 2017 के राज्य स्थापना दिवस पर करीब 12 करोड़ रूपया से अधिक दिखाया गया है. 2017 में प्रभात फेरी के लिये टॉफी की खरीद जुगसलाई के मां लक्ष्मी भंडार से और टी-शर्ट की खरीद आदित्यपुर के प्रतीक फैबनिट से की गई. सरयू राय ने पत्र में लिखा है कि कायदे से राज्य को बदनाम करने वाले इस घोटाले की जांच एसीबी के हवाले की जानी चाहिये. टी-शर्ट खरीद का मामला दो राज्यों से संबंधित है तो इस घोटाला की जांच सीबीआई को भी सौंपी जा सकती है.
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