Faisal Anurag
भारतीय विदेश मंत्रालय की कोशिशों के बावजूद मानवाधिकार,लोकतंत्र और प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर भारत की दुनिया भर में आलोचना के स्वर तेज हो गए हैं. जेल में बंदी स्टेन स्वामी की हत्या के मामले को लेकर अमेरिका के स्टेट विभाग ने भी गंभीर सवाल उठाते हुए टिप्पणी की है. स्टेन स्वामी की संस्थानिक हत्या के बाद विश्व मीडिया और यूरोपीयन यूनियन समेत अनेक देशों ने प्रतिक्रिया दी है. भारत के विदेश मंत्रालय ने दुनिया को यह भरोसा दिलाने का प्रयास किया है कि भारत में हर एक के मानवाधिकार का विशेष ख्याल रखा जाता है और आम लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों में दखल नहीं दी जाती है. इसी बीच रिपोर्ट्स विदाउट बॉर्डर ने नरेंद्र मोदी समेत दुनिया के 37 शासकों को प्रेस के शिकारी के रूप में चिन्हित किया है. भारत की वैश्विक छवि को इससे आघात लगा है.
अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट के इंटनेशनल रिलिजियस फ्रीडम ने गुरूवार को स्टेन की मृत्यु को ले गहरी चिंता प्रकट किया है. इसने भारत में लोकतंत्र के स्तर से भी इस संदर्भ को जोड़ा है.
अमेरिकी विदेश विभाग के अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता कार्यालय ने बुधवार को हिरासत में जेसुइट पुजारी फादर स्टेन स्वामी की मौत पर अपना सरोकार व्यक्त किया और भारत सरकार से स्वस्थ लोकतंत्र में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका का सम्मान करने का आग्रह किया. अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति के नजरिए से इस आलोचना के अनेक मायने लगाए जा रहे हैं. पिछले ही महीने में लंदन में जी 7 के देशों के साथ भारत ने भी कहा था कि वह लोकतंत्र और मानवाधिकार के वैश्विक संघर्ष का हिस्सा बनेगा.
चीन को लेकर जी 7 देशों की मुख्य आलोचना लोकतंत्र और मानवाधिकार को लेकर ही हैं. अमेरिका और यूरोपीय यूनियन की प्रतिक्रिया बेहद संजीदा और गंभीर है.
धार्मिक स्वतंत्रता का कार्यालय, जो अमेरिकी विदेश नीति के मुख्य उद्देश्य के रूप में धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देता है. 84 वर्षीय आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन की मृत्यु पर चिंता व्यक्त करने के लिए दुनिया भर की आवाजों में नवीनतम है, जिनकी न्यायिक में मृत्यु हो गई थी. इस संस्था ने एक ट्वीट में कहा है: “हम एक जेसुइट पुजारी और आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता, फादर स्टेन स्वामी की मृत्यु से दुखी हैं, जिनकी भारतीय हिरासत में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के आरोपों के तहत मृत्यु हो गई थी. हम सभी सरकारों से स्वस्थ लोकतंत्र में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका का सम्मान करने का आह्वान करते हैं.
यूएससीआइआरएफ ने कहा: फादर स्टेन स्वामी की मृत्यु भारत के धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों के गंभीर और चल रहे उत्पीड़न की एक कड़ी याद दिलाती है. यूएससीआईआरएफ ने लगातार बात की जब फादर स्वामी को गिरफ्तार किया गया और जमानत से इनकार कर दिया गया. विशेष रूप से उनके स्वास्थ्य में तेजी से गिरावट को देखते हुए क्योंकि वे पार्किंसंस रोग से पीड़ित थे और जेल में रहते हुए कोविड-19 का संक्रमण हो गया था और उन्हें जेल अधिकारियों ने को ई त्वरित कार्रवाई नहीं की. हम संयुक्त राज्य अमेरिका से भारत सरकार को जवाबदेह ठहराने और अमेरिका-भारत द्विपक्षीय संबंधों में धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी चिंताओं को समझने का आग्रह करते हैं.
स्टेन स्वामी की मृत्यु के बाद देश में प्रतिक्रियाओं और विरोध का सिलसिला जारी है. बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने भी एक बयान जारी किया है, जिसमें स्टेन स्वामी की मृत्यु को कानून के राज का विफलता करार दिया है.
साथ ही इसे असामान्य घटना बताते हुए संस्थानिक खराब प्रबंधन ओर व्यवहार का नमूना बताया है. एसोशिएशन की ओर से यह बयान महासचिव अनंदिता पुजारी ने जारी किया है. बार एसोशिएन ऑफ इंडिया की प्रतिक्रिया बताती है कि इस घटना ने न्याय से जुड़े समूहों के भीतर भी गहरी बेचैनी पैदा कर दी है. आमतौर पर न्यायिक हिरासत की मौतों पर एसोशिएशन खामोश ही रहता है.
नरेंद्र मोदी को प्रेस की स्वतंत्रता का शिकारी बताने वाले बयान की भी दुनिया में खूब चर्चा हो रही है. मोदी का नाम इमरान खान, दक्षिण कोरिया के कीम जोंग उन के साथ लिया गया है. प्रेस की आजादी के संदर्भ में भारत के किसी नेता का नाम पहली बार शिकारी के रूप में लिया गया है. इस बीच झारखंड के कई राजनीतिक दलों ओर सामाजिक संगठनों ने स्टेन की संस्थानिक मृत्यु की जांच की मांग को लेकर आंदोलन तेज कर दिया है.