मैन्यू व एमआरपी से अधिक कीमत लेनेवाले वेंडरों पर लगाम लगाने की बनी थी नीति
Dhanbad: रेलमंत्री व रेलवे बोर्ड के निर्देश के चार साल बाद भी धनबाद रेल मंडल में ‘नो बिल नो पेमेंट’ का असर नहीं दिख रहा है. सूत्रों के अनुसार यात्रियों की ओर से प्रधानंमंत्री, रेल मंत्री व रेलवे बोर्ड से शिकायत के बाद रेलवे की मैन्यू, खाद्य व पेय पदार्थ पर अंकित एमआरपी से अधिक कीमत लेनेवाले वेंडरों पर लगाम लगाने के लिए जुलाई वर्ष 2019 में नीति बनायी गई. नीति के तहत पैंट्री कार व रेलवे स्टेशनों के वेंडरों को निर्देश दिया गया था कि वह नो बिल नो पेमेंट का बोर्ड लगाएं व खाद्य व पेय पदार्थ लेनेवाले यात्रियों को बिल दें. यात्रियों को भी जागरूक किया गया कि बिल नहीं देने पर पेमेंट न करें. परंत इसका कोई असर वेंडरों पर नहीं पड़ा. धनबाद रेल मंडल में सौ से अधिक स्टेशनों के स्टॉल पर नो बिल नो पेमेंट के बोर्ड लगाने के बाद वेंडर बिल नहीं देते हैं.
धनबाद स्टेशन पर भी बिल नहीं देते दुकानदार
सूत्रों के अनुसार रेल मंडल के मुख्यालय धनबाद में भी स्टेशन पर कई दुकानदार ऐसे हैं, जो यात्रियों को बिल नहीं देते हैं. स्टेशन पर दो दर्जन से अधिक दुकानें हैं, जहां नो बिल नो पेमेंट का बोर्ड लगा है. बिल बुक व पीओएस मशीन भी है, लेकिन उसका उपयोग नहीं होता है. धनबाद से होकर लगभग 6 दर्जन ट्रेनें खुलती व गुजरती हैं. रोजाना 50 हजार यात्री ट्रेनों में सफर करते हैं.
यात्री मांगते नहीं, इसलिए नहीं देते हैं बिल
धनबाद स्टेशन के एक दुकानदार ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि ट्रेन जब आती है तो यात्री काफी हड़बड़ी में रहते हैं और रुपये देकर सामान लेकर फौरन ट्रेन में चढ़ जाते हैं. ट्रेन छूटने का भी भय बना रहता है. ट्रेनों की प्रतीक्षा करनेवाले यात्री भी बिल नहीं मांगते हैं. हालांकि दुकान में बिल बुक और पीओएस मशीन है. कुछ दुकानदार खाद्य व पेय पदार्थ की कीमत मैन्यू व एमआरपी से अधिक लेते हैं. कई बार बिल को लेकर कुछ दुकानों व यात्रियों के बीच बहस हो चुकी है.
अधिकारी न करते हैं जांच व न ही कार्रवाई
सूत्रों के अनुसार धनबाद रेल मंडल के डीआरएम केके सिन्हा, सीनियर डीसीएम अमरेश कुमार और आईआरसीटीसी के अधिकारी नो बिल नो पेमेंट नीति के लागू होने की सच्चाई की जांच तक नहीं करते हैं. ब्लैक डायमंड एक्सप्रेस से हावड़ा जा रहे भिस्तीपाड़ा के दीपक कुमार ने कहा कि वह अक्सर किसी न किसी काम से कोलकाता व दिल्ली आते-जाते हैं. उन्होंने कभी किसी अधिकारी को स्टॉल पर जांच करते नहीं देखा.
रेलवे बोर्ड की टीम ने पकड़ी थी गड़बड़ी
सूत्रों के अनुसार पिछले चार साल में दो बार रेलवे बोर्ड से टीम आकर धनबाद समेत कई स्टेशनों की जांच कर चुकी है. जांच में यात्रियों को खाद्य व पेय पदार्थ के बदले वेंडर की ओर से बिल देते नहीं देखा गया. टीम ने रेलवे अधिकारियों को इससे अवगत भी कराया था, लेकिन धनबाद रेल मंडल के अधिकारियों को कोई फर्क नहीं पड़ा.
यात्री शिकायत करेंगे तो कार्रवाई होगी: स्टेशन अधीक्षक
धनबाद स्टेशन अधीक्षक रत्नेश कुमार कहते हैं कि जब ट्रेन रुकती है तो यात्रियों की काफी भीड़ रहती है. हर यात्री खाने-पीने का सामान लेने के लिए जल्दबाजी में रहता है. वेंडर से बिल नहीं मांगते हैं. ट्रेन हो या स्टेशन बिल मांगने पर वेंडर जरूर देंगे. मैन्यू या एमआरपी से अधिक कीमत लेने की शिकायत यात्री करेंगे तो संबंधित वेंडर के खिलाफ कार्रवाई होगी.