खेत में बिचड़ा डाल कर आसमान की ओर ताक रहे कृषकों को दी जा रही मोटे अनाज उपजाने की सलाह
Sindri : मानसून की बेरुखी व निम्न दर्जे की वर्षा से बलियापुर के किसान हताश हैं, जबकि कृषि वैज्ञानिकों ने म्मीद का दामन नहीं छोड़ा है. प्रखंड के बिरसिंहपुर पंचायत के गुरीटांड़ निवासी किसान सुखदेव महतो ने बताया कि निम्न दर्जे की बारिश के कारण खेतों में बिचड़ा जल रहा है, किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं.धान, अरहर, मक्का सहित कई खरीफ फसलों की खेती में इस वर्ष नुकसान हो सकता है. बारिश की शुरुआती बूंदों के कारण कुछ खेतों में ही बिचड़ा डाला गया है. कई खेत बदहाल पड़े हैं.
फिलहाल कोई बड़ा नुकसान नहीं: ललित दास
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इधर कृषि विज्ञान केंद्र बलियापुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक सह प्रमुख ललित दास ने कहा कि खेती के लिए मौसम पर्याप्त है. उन्होंने कहा कि खेतों में किसान बिचड़ा डाल रहे हैं. फिलहाल कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है. हालांकि जून महीने में 73 प्रतिशत कम बारिश हुई है. पौष्टिक फसलों के लिए सरकार जैविक खाद व प्राकृतिक संसाधनों के प्रति किसानों को जागरूक कर रही है. यूरिया व डीएपी को कम कर गाय का गोबर, पत्तों को सड़ाकर बनाए गए खाद, केंचुआ खाद (वर्मी कंपोस्ट) व पोटाश से फसलों में पौष्टिकता आएगी. उन्होंने बताया कि बीते दस वर्षों के डाटा के अनुसार पूरे धनबाद जिला में 45 हजार से अधिक हेक्टेयर खेतों में धनरोपनी हो रही है. उन्होंने किसानों को संदेश देते हुए कहा कि 2023 में सरकार अंतरराष्ट्रीय मोटे अनाज की खेती का वर्ष मना रही है. किसान मड़ुआ, बाजरा, मक्का, ज्वार जैसी पौष्टिक फसलों की खेती टांड़़ (उपरी) जमीन पर कर सकते हैं. इन फसलों में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट सहित अन्य मिनरल्स की बहुतायत है, जिसका सेवन कर लोग तंदुरुस्त रह सकते हैं.
मड़ुआ, ज्वार, बाजरा की खेती भी फायदेमंद : देवकांत
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कृषि विज्ञान केन्द्र बलियापुर के वैज्ञानिक देवकांत प्रसाद ने बताया कि कुछ खेतों में बिचड़ा डाला गया है. बारिश के कारण कुछ टांड़ खेतों में मक्का, अरहर लगा है. बारिश की पूर्वसूचना के तहत किसानों को थोड़ा नुकसान हो रहा है. विज्ञान के अनुसार जुलाई के अंत तक दलहनी व तेलहनी फसलों की बोआई की जा सकती है. सही समय पर फसलों की बोआई से उपज अच्छी होती है. झारखंड में रेनफेड के कारण धनबाद जिला में धान की फसल ज्यादा लगाई जाती है. अरहर, मूंग, उरद की खेती भी की जाती है. अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष 2023 में सरकार व कृषि विज्ञान केन्द्र मड़ुआ, ज्वार, बाजरा, साँवा, कोदो की खेती के लिए किसानों को प्रेरित कर रहा है. इन फसलों में पौष्टिकता ज्यादा पायी जाती है.