Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) धैया में श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन कथावाचक सुरेन्द्र हरिदास जी महाराज ने उद्धव चरित्र, रुक्मिणी विवाह, रास पंचाध्यायी का वर्णन किया. कथा का आरम्भ विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ हुई. इसके बाद पूज्य महाराज ने सभी भक्तगणों को “कृष्ण प्रेममयी राधा राधा प्रेममयो हरि ” भजन सुनाकर वातावरण को भक्तिमय बना दिया. भक्तजन नाचने पर मजबूर हो गए व भगवान कृष्ण का गुणगान करने लगे.
बिना त्याग किये भगवान का मिलना असंभव
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सुरेन्द्र हरिदास जी महाराज ने कहा कि बिना साधना के भगवान का सान्निध्य नहीं मिलता. द्वापर युग में गोपियों को भगवान श्रीकृष्ण का सान्निध्य इसलिए मिला, क्योंकि उन्होंने पिछले जन्म में सान्निध्य की इच्छा को लेकर कठोर साधना की थी. शुद्ध भाव से की गई परमात्मा की भक्ति सभी सिद्धियों को देने वाली है. जितना समय हम इस दुनिया को देते हैं, उसका पांच प्रतिशत भी यदि भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लगाएं तो कृपा निश्चित मिलेगी. गोपियों ने श्रीकृष्ण को पाने के लिए त्याग किया, परंतु हम चाहते हैं कि हमें भगवान बिना कुछ किये ही मिल जाए, जो असम्भव है.
कथा की सफलता में जुटे भक्तजन
कथा सफल करने वाले में अशोक गुप्ता सपत्नीक, सुधा गुप्ता, मुरली मनोहर अग्रवाल, निर्मला देवी, नंदु रजक, उषा रजक, टिंकू सरकार, मीना सरकार मिहिर दत्ता, अमिता दत्ता, विरेन्द्र भगत केदारनाथ मित्तल, श्याम पांडे, रमेश राय, पप्पू सिंह, रंजीत जायसवाल, अमृत सिंह, गोपालनाथ, प्रकाश दे, झूलन सिंह, राजेन्द्र रजक, गोपाल नाग, सुदीप दत्ता, मोनू दीपक, रितेश, संतोष आदि जुटे हुए हैं. श्रीमद्भागवत कथा के अष्टम दिन द्वारिका लीला, सुदामा चरित्र, परीक्षित मोक्ष, व्यास पूजन का वृतांत सुनाया जाएगा.