दुकानों में शोभा की वस्तु बनकर रह गई
Dhanbad : एक समय था जब लोग ग्रीटिंग कार्ड की ओर रहते आकर्षित थे. अपने पिरिचितों को नव वर्ष के अवसर पर सुंदर-सुंदर ग्रीटिंग कार्ड भेजते थे. मगर मोबाइल और इंटरनेट के आने के बाद से ग्रीटिंग कार्ड का प्रचलन ही लगभग खत्म हो गया है. अब यह दुकानों के लिए शोभा की वस्तु बनकर रह गई है.
दुकान में शोभा की वस्तु बनकर रह गयी ग्रीटिंग कार्ड
रंग-बिरंगे ग्रीटिंग कार्ड खरीद कर लोग बधाई संदेश भेजते थे. सबसे अच्छा ग्रीटिंग खरीदने की दुकानों में होड़ लगी रहती थी. नया साल आने के एक महीने पहले ही लोग ग्रीटिंग कार्ड की दुकान में खरीदारी के लिए पहुंचने लगते थे. लेकिन जब से सोशल मीडिया का प्रचलन बढ़ा है तब से ग्रीटिंग कार्ड दुकानों की शोभा की वस्तु बनकर रह गयी है.
क्या कहते हैं दुकानदार
कार्ड एंड गिफ्ट गैलरी पार्क मार्केट के दुकानदार मनीष रंजन ने बताया कि ग्रीटिंग कार्ड के लिए एक महीना पहले से भिड़ दुकानों में लगने लगती थी. उन्होंने बताया कि 1995 से ग्रीटिंग कार्ड का व्यवसाय कर रहा हूं. शुरुआत में इसकी खूब डिमांड थी, लेकिन अब यह दुकान की शोभा की वस्तु बनकर रह गई है. उनका कहना है कि 6 से 7 साल पहले से ही डिमांड कम होते चला गया और अब इस कार्ड को स्कूल के बच्चे ड्राइंग के तौर पर यूज करते हैं. ग्रीटिंग कार्ड की कई दुकानें धनबाद में हुआ करती थी जो अब या तो बंद हो गई, या कोई नया व्यवसाय शुरू हो गया उसमें.
बिग बाजार के पास ओबलाइज दुकान के मालिक अक्षत अरोरा कहते हैं कि ग्रीटिंग कार्ड की अब डिमांड बहुत कम हो गई है. यू कहे तो न के बराबर है. उन्होंने कहा कि बैंक मोड़ में कार्ड और गिफ्ट का मेरा सबसे पुराना दुकान है, जिसे मेरे पिता सुरेंद्र अरोड़ा चलाते हैं. पहले दुकान में कार्ड भरा हुआ रहता था, लेकिन अब गिना चुना ही कार्ड काउंटर पर रखा रहता है. कभी कभी कुछ लोग डिमांड करते हैं.
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