धनबाद में चार दिनों से बंद है कचरे का उठाव, निगम की तमाम कोशिशें हो रहीं नाकाम
Dhanbad : शहर के विकास कार्यों को धरातल पर उतरना नगर निगम के अधिकारियों के लिए चुनौती बनता जा रहा है. जमीन के अभाव में पिछले 17 सालों से आधा दर्जन से अधिक योजनाएं अधर में लटकी है. जिसमे सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, प्रधानमंत्री किफायती आवास योजना, ट्रांसपोर्ट नगर, इंटर स्टेट बस टर्मिनल के साथ निगम के वाहनों के लिये स्थायी जगह नहीं मिल पा रही है. अब तो सबसे बड़ी मुसीबत कचरे के डंपिंग को लेकर शुरू हो चुकी है. निगम को जहां भी खाली जगह मिल रही है, वहा विरोध ही शुरू हो जा रहा है. पिछले दिनों झरिया के बनियाहिर में विरोध के बाद निगम को कचरा डंप करने का काम रोकना पड़ा था. दो दिनों के प्रयास के बाद बीसीसीएल ने भूलन बरारी में निगम को जमीन उपलब्ध कराया. इसके बाद शनिवार को डोर टू डोर कचरा उठाने का काम शुरू हुआ, लेकिन दोपहर होते-होते बंद भी हो गया, यहां भी बंद होने का कारण विरोध ही था. रविवार को भी कचरा उठाव नहीं हुआ, यानी जमीन का पेंच बरकरार है.
स्थानीय लोगों के विरोध को भी समझे
धनबाद का 40 फ़ीसदी शहरी क्षेत्र बीसीसीएल के इलाके में पड़ता है, जहां रैयतों के साथ कई अन्य लोग झुग्गी झोपड़ी बना कर लंबे समय से रहते आ रहे है. इसी आबादी के बीच बीसीसीएल की भूमिगत और खुली खदाने भी है. बीसीसीएल जहा से कोयला निकाल चुका है, उसी खाली स्थान पर नगर निगम को कचरा डंप करने की जगह दे रहा है. पहले यह काम झरिया के बनियाहिर में हो रहा था, लेकिन वहां अब निगम ओबी गिरा रहा है, इससे कचरा डंप करने की जगह नहीं है. जहा कचरे का टीला बन चुका है. वहीं अभी तक निगम कचरा गिराने का काम जहां कर रहा था, इससे आस पास की आबादी प्रभावित होने लगी थी. लोगों के पुरजोर विरोध के कारण निगम को काम बंद करना पड़ा. इसके बाद बीसीसीएल के साथ दोबारा कोशिश हुई, भुलन बरारी में जगह भी मिली, लेकिन काम शुरू होते ही विरोध शुरू हो गया. स्थानीय लोगों ने कहा जमीन रैयती है, कचरा नहीं फेंकने देंगे और काम बंद हो गया. अब निगम के अधिकारी एसे लोगों को अतिक्रमण कारी कह रहे है. दूसरी ओर बीसीसीएल ने फिलहाल इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली है.
17 सालों में नहीं शुरू हुआ सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का काम
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए वर्ष 2006 में निगम गठन के बाद से जमीन तलाशी जा रही है. दो टर्म निगम का चुनाव भी हो चुका है, लेकिन जमीन का काम पूरा नहीं हुआ है. पहले पुटकी में बीसीसीएल की जमीन देखी गई, उसके बाद एफसीआई सिंदरी, टुंडी, सबलपुर, बलियापुर के रघुनाथपुर मौजा तथा आमझार में जमीन मिली. लेकिन सारी कोशिश बेकार रही. कही जमीन की कीमत अधिक होने तो कही स्थानीय लोगों के विरोध के कारण निगम के अधिकारी को पीछे हटना पड़ा. लोगों को अपनी सुरक्षा की चिंता है, जिसे समझाने में निगम के अधिकारी नाकाम रहे है.
जमीन के अभाव में ये काम भी लटके
शहर में जमीन विहीन लोगों को पीएम आवास योजना के तहत किफायती आवास देने का काम 2015 से चल रहा है. अभी बारमुड़ी में सिर्फ 310 आवास का निर्माण कार्य चल रहा है, जमीन के अभाव में हजारों लोग इस योजना से वंचित है. आईएसबीटी का काम भी लंबे समय से जमीन के अभाव में लटका है. अभी कतरास क्षेत्र में जमीन चिह्नित की गई है, लेकिन फाइनल नहीं हुआ है. शहर की साफ-सफाई और अन्य कार्यों से जुड़े निगम के पास 100 से अधिक वाहन है. लेकिन इन्हे रखने की जगह नहीं है. ज्यादातर वाहनों को सड़क किनारे खड़ा किया जा रहा है.
अब जवाबदेहो की भी सुने
निगम के सहायक नगर आयुक्त प्रकाश कुमार ने बताया कि हमलोग का कार्य तो नागरिक सुविधाओं के लिए है, जो शहर में निवास करते है. कचरा डंपिंग की बात हो या सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की या अन्य किसी योजना की, इससे भला किसका होगा, यह बात भी सोचने की है. कचरा प्रोसिंग प्लांट लगाने से किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं फैलेगा. प्लांट बनने के बाद लोगों को यह बात समझ में आयेगी, लेकिन उससे पहले ही विरोध शुरू हो जा रहा है. इसके नहीं बनने से भी नुकसान तो यही के नागरिकों का हो रहा है. समाधान का प्रयास चल रहा है, कोई न कोई रास्ता निकाला जाएगा.
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