तीन सप्ताह के अंदर स्वतंत्र जांच एजेंसी से जांच कराने पर निर्णय लें
Dhanbad : बैंक मोड़ थाना क्षेत्र स्थित मुथूट फिनकॉर्प डाका कांड के आरोपी मृतक शुभम के कथित फर्जी एनकाउंटर के मामले में झारखंड उच्च न्यायालय में राज्य के डीजीपी को 3 सप्ताह के अंदर मामले की स्वतंत्र जांच एजेंसी से जांच कराने के आवेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है. मृतक शुभम की मां शशि देवी ने हाई कोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर बैंक मोड़ थाना के इंस्पेक्टर डॉक्टर प्रमोद कुमार सिंह पर जान बूझकर ए के 47 राइफल से उसके पुत्र की हत्या का आरोप लगाया था. याचिकाकर्ता ने पुलिस के एनकाउंटर को फर्जी करार देते हुए बैंक मोड़ पुलिस के क्रियाकलाप पर कई सवाल खड़े करते हुए मामले की जांच राज्य या केंद्र की स्वतंत्र जांच एजेंसी से करने की प्रार्थना की थी.
झारखंड उच्च न्यायालय में दाखिल क्रिमिनल रिट पिटिशन याचिकाकर्ता ने झारखंड सरकार, सरकार के गृह विभाग के सचिव, डीजीपी झारखंड धनबाद के वरीय पुलिस अधीक्षक तथा बैंक मोड़ थाना के प्रभारी को विपक्षी बनाया गया था. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार द्विवेदी की एकल खंडपीठ ने आदेश में सर्वोच्च न्यायालय के एक जजमेंट का हवाला देते हुए कहा कि यदि ऐसी स्थिति हो तो मामले की जांच एसआईटी या स्वतंत्र जांच एजेंसी से कराने का दिशा निर्देश है. अदालत ने याचिकाकर्ता को छूट देते हुए 2 सप्ताह के अंदर राज्य के डीजीपी को आवेदन देने का निर्देश दिया.
आरोप है कि बैंक मोड़ थाना प्रभारी डॉ प्रमोद कुमार सिंह इससे पूर्व झरिया थाना में थानेदार के रूप में पदस्थापित थे तथा ऐना कोलियरी में बेवजह लाठीचार्ज कर लोगों को प्रताड़ित किया था. इस बाबत बोकारो डीआईजी द्वारा उन्हें निलंबित भी किया गया था. बाद में उसे बैंक मोड़ थाना का प्रभारी बनाया गया. बैंक मोड़ थाना प्रभारी का क्रियाकलाप एक तानाशाह के रूप में उभर कर सामने आया है. रिट याचिका में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एनकाउंटर को लेकर दिए गए दिशा निर्देशों का हवाला देते हुए कहा गया है कि पुलिस सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का उल्लंघन किया है.
मृतक शुभम कुमार पढ़ा लिखा युवक था तथा उसका कोई अपराधिक इतिहास भी नहीं था. यदि वह पथ से भटक भी गया था तो उसे मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जाना चाहिए. पुलिस को न्यायिक प्रक्रिया पर भरोसा नहीं है. इसलिए वह घटनास्थल पर ही सजा का एलान कर दिया. बताते चलें कि 7 सितंबर 22 को डकैती के दौरान पुलिस और अपराधियों के बीच मुठभेड़ में बैंक मोड़ थाना के इंस्पेक्टर डॉ प्रमोद कुमार सिंह की लिखित शिकायत पर बिहार के सात नामजद अपराधियों मोहम्मद आसिफ उर्फ निर्मल सिंह पवार, उर्फ माया उर्फ इकबाल चकनौर समस्तीपुर मुफस्सिल निवासी, राघव उर्फ राहुल बढ़ईया बीरपुर लखीसराय निवासी, रैबिट उर्फ शुभम कोईलवर आरा निवासी ( मृत्तक), टोक्यो उर्फ छोटू सिंह उर्फ शिवम कुमार कल्याणपुर समस्तीपुर निवासी, शंकर ठाकुर उर्फ रमेश ठाकुर कल्याणपुर समस्तीपुर निवासी, रवि उर्फ रवि रंजन सिंह समस्तीपुर शेखो निवासी, अन्नू सिंह उर्फ राजीव सिंह उर्फ पिल्लू समस्तीपुर निवासी ( वर्तमान में बेऊर जेल पटना में बंद) के विरुद्ध जानलेवा हमला ,सरकारी काम में बाधा, सरकारी काम के दौरान लोक सेवक को क्षति पहुंचाना फर्जी दस्तावेज तैयार करना ,धोखाधड़ी व आर्म्स एक्ट के विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था एवं दो आरोपी मोहम्मद आसिफ तथा राहुल कुमार उर्फ राघव को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.