Mithilesh Kumar
Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) शहर और आसपास इलाके में आवारा कुत्तों का झुंड अब खूंखार बन चुका है. मोहल्लों की सड़कों पर घूमते आवारा कुत्ते खासकर छोटे बच्चे और बुजुर्गों को निशाना बना रहे हैं. हाल के दिनों में ये दर्जनों मासूमों को काट चुके है. करीबन एक दर्जन बच्चों की कुत्ते के काटने से जान भी जा चुकी है. एसएनएमएमसीएच के आंकड़ों की मानें, तो धनबाद जिले में पिछले तीन महीने में 933 लोग कुत्तों का शिकार बना चुके हैं. इसके बावजूद जिला प्रशासन आदमखोर बन चुके कुत्तों की रोकथाम में विफल रहा है. हरियाणा की संस्था स्नेह फाउंडेशन शहरी क्षेत्र में कुत्तों की नसबंदी का अभियान तो चला रही है, लेकिन कुत्तों की बढ़ती आबादी पर इसका कोई असर नहीं हो रहा है. सर्वे रिपोर्टग् के अनुसार, अकेले धनबाद शहर में करीब 30 हजार स्ट्रीट डॉग हैं.
ऐसे समझें कुत्तों के शिकार हुए लोगों का दर्द
केस 1: वर्ष 2020 में हीरापुर लिंड्से क्लब के समीप रहने वाले रामदयाल राम के चार साल के बेटे सौरभ कुमार को कुत्ते ने काट लिया था. उसके पैर में गंभीर जख्म के कारण अस्पताल में टांका लगाना पड़ा था. रामदयाल ने बताया कि इसे ठीक होंने में दो महीना से ज्यादा वक्त लग गया. बच्चे के मन में आज भी वह डर बैठा हुआ है. कुत्ते की भोंकने की आवाज सुनते ही वह डर जाता है.
केस 2 : वर्ष 2021 में बेलगढ़िया में छह साल के मनीष कुमार को कुत्ते ने नोच कर लहूलुहान कर दिया था. गंभीर हालत में उसे एसएनएमएमसीएच लाया गया था. लंबा इलाज के बाद बच्चे की जान बची. बच्चे के पिता दशम मांझी बताते हैं कि कुत्ते ने बेटे के बाएं पैर से चार दांत लगाकर मांस निकाल लिया था. हाथ में भी गंभीर जख्म था. तीन महीना तक इलाज के बाद वह ठीक हो पाया था. आज भी उसके मन में डर बैठा हुआ है, अकेले घर से कहीं नहीं जाता है.
केस 3 : 15 अगस्त 2022 की शाम गोविंदपुर स्थित द्वारिका सिटी में रहने वाले मुकेश कुमार सिंह की 7 वर्षीय पुत्री अनन्या सिंह की कुत्तों के झुंड ने जान ले ली. परिजनों का कहना है कि कुत्तों ने सुनसान जगह पाकर बच्ची पर हमला कर दिया था. प्रशासन की घोर लापरवाही की वजह से कुत्ते आदमखोर बन रहे है. समय रहते इनपर रोक नहीं लगी, तो लोग उनका शिकार होते रहेंगे.
अस्पताल में हर दिन पहुंच रहे कुत्ता काटने के 12 मरीज
एसएनएमएमसीएच के फार्मेसी विभाग में तैनात राजीव रंजन ने बताया कि अस्पताल में हर दिन 10 से 12 लोग कुत्ता काटने पर एंटी रैबीज का टीका लगाने पहुंच रहे हैं. यह आंकड़ा घटता-बढ़ता रहता है. पिछले एक माह में 311 लोग एंटी रैबीज का टीका लगाने अस्पताल आ चुके हैं. इधर, सदर अस्पताल के कर्मी ने बताया कि कुत्ता काटने के 3-4 मरीज प्रतिदिन एंटी रैबीज का टीका लने अस्पताल आ रहे हैं. इसके अलावा शहर के दर्जनों निजी अस्पतालों में भी एंटी रैबीज का टीका लगाने लोग पहुंच रहे है.
कुत्तों की आबादी रोकना नगर निगम के जिम्मे
आवारा कुत्तों की आबादी रोकने की जिम्मेवारी नगर निगम की है. निगम ने वर्ष 2021 में कुत्तों की नसबंदी की जिम्मेवारी हरियाणा की संस्था स्नेह फाउंडेशन को दी है. फाउंडेशन के इंचार्ज डॉ. धीरज ने बताया कि नगर निगम ने हर माह 400 कुत्तों की नसबंदी का लक्ष्य दिया है. हमलोग प्रतिदिन 30 से 40 कुत्तों की नसबंदी कर रहे हैं. दो से तीन दिन में उन्हें जहां से उठाते हैं, नसबंदी के बाद वहीं छोड़ देते हैं. इसपर आने वाले खर्च का भुगतान निगम करता है. उन्होंने बताया कि सर्वे के मुताबिक धनबाद में करीब 30 हजार स्ट्रीट डॉग हैं. नसबंदी से ही इनकी संख्या में कमी आएगी. नसबंदी के बाद कुत्ते आक्रामक नहीं होते हैं.
बरसात में हार्मोन बढ़ने से कुत्ते हो जाते हैं आक्रामक
सदर हॉस्पिटल के डॉक्टर राकेश कुमार ने बताया कि सीजन के हिसाब से कुत्तों के हार्मोन में बदलाव होता है, जिससे वे उत्तेजित हो जाते हैं और राहगीरों को काट लेते हैं. दूसरा कारण भूख भी हो सकती है. खाना नहीं मिलने से भी कुत्ते आक्रामक हो जाते हैं.
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