मरीजों, बच्चों-बुजुर्गों को कुछ दिनों तक संभल कर रहने की जरूरत
Dhanbad : दिवाली की रात धनबाद शहर में पटाखों की गूंज ने ध्वनि प्रदूषण के साथ वायु प्रदूषण को भी खतरनाक स्तर पर पहुंचा दिया है. कोयला खदानों की वजह से पहले से ही प्रदूषण की मार झेल रहे जिलावासियों के लिए अगले कुछ दिन दुष्कर साबित होने वाले हैं. स्थिति सामान्य होने तक मरीजों, बच्चों और बुजुर्गों को सतर्क रहने की जरूरत है. 12 नवंबर को दिवाली की रात आतिशबाजी के कारण शहर के हीरापुर, बैंक मोड़, बरटांड़, सरायढेला सहित कोलियरी इलाकों में ध्वनि प्रदूषण बढ़कर 105 डेसिबल तक पहुंच गया. वायु प्रदूषण भी सामान्य से दोगुना अधिक खतरनाक स्तर 200 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक पहुंच गया.
रात में 45 डेसिबल होनी चाहिए ध्वनि की तीव्रता
तय मानक के अनुसार, दिन में ध्वनि की तीव्रता 55 डेसिबल और रात में 45 डेसिबल से कम होनी चाहिए. कल-कारखानों, माइंस, वाहनों आदि के शोर से कोयलांचल में ध्वनि की तीव्रता आम दिनों में सामान्यत: 70-75 डेसिबल रिकॉर्ड की जाती है. लेकिन दीपावली की रात इसकी तीव्रता 30 से 35 डेसिबल अधिक रही. यह स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से दिल की बीमारी से ग्रसित लोगों के लिए घातक है.
हवा में प्रदूषक तत्वों की बढ़ी मात्रा
बारूद के धुएं ने जिले के एयर क्वालिटी इंडेक्स (केक्यूआई) को बिगाड़ दिया है. नगर निगम कार्यालय के समीप लगाए गए कंटीन्यूअस एंबिएंट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन के डिस्प्ले बोर्ड के अनुसार, जिले के लगभग सभी इलाकों में वायु प्रदूषण का स्तर न्यूनतम मानक से दो गुना अधिक रहा. इसमें 10 पीएम का स्तर 215-220 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर और 2.5 पीएम का स्तर 175-180 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया. जबकि स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से दोनों का सामान्य स्तर 100 के नीचे रहना चाहिए.
गाइडलाइन की अनदेखी, देर रात तक जमकर फूटे पटाखे
जिला वासियों ने आतिशबाजी के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जेएसपीसीबी) की ओर से जारी गाइडलाइन को नजरअंदाज किया. तय समय सीमा रात आठ से दस बजे तक से अधिक समय तक आतिशबाजी होती रही. शहर के कई इलाकों में शाम चार-पांच बजे से रात भर आतिशबाजी की गूंज सुनाई देती रही.
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